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जानिए वजह, लखनऊ विश्वविद्यालय के कॉलेजों में प्रवेश के लिए आए कम आवेदन
लखनऊ: राजधानी के लखनऊ विश्वविद्यालय से हरदोई, सीतापुर, रायबरेली, लखीमपुर के 361 कॉलेज जुड़ने के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय से संबंधित डिग्री कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले छात्रों की संख्या में काफी कमी देखने को मिल रही है. लखनऊ विश्वविद्यालय का दायरा बढ़ने के बाद से जिन जिलों के छात्रों को लखनऊ के डिग्री कॉलेज में प्रवेश के लिए मेरिट में कमी के चलते दाखिले नहीं मिला करते थे. आज उन्हीं डिग्री कॉलेजों को छात्रों को दाखिला दिलाने के लिए लगातार तिथियों में बदलाव भी किया जा रहा है.
केकेसी की प्राचार्या मीता साह ने बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय का दायरा बढ़ने के बाद से कही न कही इस बार प्रवेश लेने वाले छात्र छात्राओं की संख्या में काफी कमी देखने को मिल रही है. हर वर्ष प्रवेश के लिए 80 से 85 प्रतिशत मेरिट होने के बाद भी छात्रों के प्रवेश के लिए आवेदन को लेकर काफी मारामारी रहती थी. वही इस बार 80 प्रतिशत से कम मेरिट होने के बाबजूद भी कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले छात्रों की संख्या नहीं बढ़ी है.वहीं, विद्धान्त हिंदू पीजी कॉलेज के प्राचार्य धर्म सिंह से बात की, तो उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि इस बार स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए 75 से 80 प्रतिशत तक मेरिट निर्धारित की गई है. इसके बावजूद इस बार प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या में कमी देखने को मिल रही है. हालांकि उन्होंने उम्मीद है कि जल्द ही स्नातक की सभी सीटें भर जाएंगी.
वही इस पूरे मामले पर लुऑक्टा अध्यक्ष मनोज पांडे ने जानकारी देते हुए बताया कि जगह-जगह इतने कॉलेज खुल गए है, बच्चे वहीं रुक जा रहा है. दूसरा कारण है कि टेक्निकल एजुकेशन का ग्राफ इतना बढ़ा है कि अब हर बच्चा चाहता है कि टेक्निकल एजुकेशन पड़े. क्योंकि टेक्निकल एजुकेशन का कोर्स करने के बाद उसे रोजगार के ज्यादा अवसर मिल रहा है.