उत्तर प्रदेश

खतौली के भाजपा विधायक विक्रम सैनी की विधायकी समाप्त, खतौली में जल्द कराए जाएँगे उपचुनाव

Admin4
4 Nov 2022 11:48 AM GMT
खतौली के भाजपा विधायक विक्रम सैनी की विधायकी समाप्त, खतौली में जल्द कराए जाएँगे उपचुनाव
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लखनऊ। मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट से भाजपा विधायक विक्रम सैनी को बड़ा झटका लगा है। उनकी सदस्यता समाप्त हो गई है, जिसके बाद खतौली में अब जल्द उपचुनाव कराया जाएगा।
आपको बता दें कि खतौली के भाजपा विधायक विक्रम सैनी समेत 11 अन्य लोगों को मुजफ्फरनगर दंगे में दोषी मानते हुए दो साल की सजा सुनाई गई थी। रामपुर के सपा विधायक आजम खान को इसी तरह के एकहेट स्पीच के मामले में तीन साल की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त कर दी गई और रामपुर सीट को रिक्त घोषित कर दिया गया।
जिसके बाद राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष को एक चिठ्ठी लिखी थी। जिसमें उन्होंने सवाल किया था कि दो साल और उससे ज्यादा की सजा पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि विधायक और सांसद की सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाएगी और उसी आधार पर आजम खान की सदस्यता समाप्त की गई है। तो विक्रम सैनी की सदस्यता क्यों नहीं समाप्त की गई ? जिसके बाद यह मामला गर्मा गया था ।
बताया जाता है कि इसी मामले में विक्रम सैनी की भी सदस्यता समाप्त हो गयी है। खतौली विधानसभा सीट अब रिक्त हो गयी है। जिसपर शीघ्र ही उपचुनाव कराया जाएगा।
दूसरी तरफ विधायक विक्रम सैनी ने कहा कि उन्हें इस तरह के किसी आदेश की कोई जानकारी नहीं है ,उन्हें ऐसा कोई आदेश नहीं मिला है।
इसी बीच विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना के आज लखनऊ से बाहर होने के कारण उनसे कोई पुष्टि नहीं की जा सकी है। उनके कार्यालय ने बताया कि उनके यहाँ से ऐसा लिखित आदेश अभी जारी नहीं किया गया है लेकिन कानूनविदों का मानना है कि दो साल या ज़्यादा की सजा पर जनप्रतिनिधि की सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाएगी , विधानसभा सचिवालय को केवल विधानसभा इलाके की रिक्ति की ही अधिसूचना जारी करनी होती है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील मदन शर्मा का कहना है कि हां, विक्रम सैनी की सदस्यता भी खत्म की जानी चाहिए थी। उन्होंने बताया कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने लिली थॉमस वर्सेस यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में 2 वर्ष या उससे अधिक की सजा प्राप्त करने पर यह प्रावधान लागू कर रखा है।
मुज़फ्फरनगर के वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल जिंदल ने बताया कि लोक प्रतिनिधित्व कानून 1951 के सेक्शन 8 के उप सेक्शन 3 में यह प्रावधान है कि यदि किसी सांसद या विधायक को 2 साल या उससे अधिक की सजा होती है तो उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से समाप्त हो जाएगी, लेकिन इसी धारा के उप सेक्शन 4 में यह प्रावधान था कि यदि 3 महीने के भीतर कोई उच्च अदालत स्थगन आदेश जारी कर दे तो सदस्यता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन लिली थॉमस अधिवक्ता एवं लोक प्रहरी के सचिव एसएन शुक्ला की जनहित याचिका पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 10 जुलाई 2013 को पारित अपने निर्णय में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 की उप धारा 4 को ही ख़त्म कर दिया है, जिसके कारण अब धारा 3 के तहत 2 वर्ष से अधिक की सजा पर तत्काल सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाएगी। कोर्ट ने इन दागी प्रत्याशियों को एक राहत जरूर दी थी कि सुप्रीम कोर्ट का कोई भी फैसला इनके पक्ष में आएगा तो इनकी सदस्यता स्वतः ही वापस भी हो जाएगी।
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