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लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में डॉक्टर अब बाहर की दवा मरीजों को नहीं लिख सकेंगे। इस संबंध में मुख्यमंत्री से बीते दिनों हुई शिकायत के बाद एक्शन शुरू हो गया है। इस बारे में विश्वविद्यालय की कुलसचिव रेखा एस. चौहान ने ट्रॉमा सेंटर सहित सभी विभागों को आदेश जारी करते हुए कहा कि मरीजों को सिर्फ परिसर में खुले मेडिकल स्टोर की दवा उपलब्ध कराई जाए। बाहर की दवा मरीजों को न लिखी जाए। ऐसे में मरीजों के लिए डॉक्टरों को अब वही दवाएं लिखनी होंगी, जो केजीएमयू के भीतर खुले मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध हैं। बता दें कि केजीएमयू के डॉक्टरों पर पहले भी बाहर के मेडिकल स्टोर मालिकों से सांठगांठ कर दवायें लिखने के आरोप लगते रहे हैं।
केजीएमयू के भीतर है ये है व्यवस्था-बॉक्स
दरअसल, केजीएमयू के माध्यम से मरीजों को सस्ता इलाज व दवा मिल सके, इसके लिए राज्य सरकार हर साल 900 करोड़ रुपये का बजट जारी करती है। ऐसे में यहां सस्ती दवाओं के मेडिकल स्टोर उपलब्ध हैं। बता दें कि यहां 4500 बेड हैं। रोजाना ओपीडी में छह हजार के करीब मरीज आते हैं। इन मरीजों को सहूलियत मिले, इसके लिए सरकार प्रयासरत है। लेकिन डॉक्टरों की मनमानी के आगे सारे प्रयासों पर पानी फिर जा रहा है।
डॉक्टरों को रास नहीं आ रही सस्ती दवा-बॉक्स
मरीजों को सस्ती दवाएं मुहैया कराने के लिए एचआरएफ, अमृत फार्मेसी, प्रधानमंत्री जन औषिध केंद्र व सोसाइटी के स्टोर हैं। इनमें 30 से 70 फीसदी कम कीमत पर मरीजों को दवा मुहैया कराई जा रही है। पर केजीएमयू के डॉक्टरों को यहां की सस्ती दवाएं रास नहीं आ रही हैं। जबकि यहां भी नामचीन कंपनियों की दवाएं उपलब्ध हैं।
केजीएमयू में दवा कारोबारियों का दबदबा
मौजूदा समय में केजीएमयू के आसपास काफी संख्या में मेडिकल स्टोर खुले हुए हैं। आरोप है कि केजीएमयू डॉक्टर जो दवायें लिखते हैं, वे दवायें सिर्फ इन्हीं मेडिकल स्टोरों पर ही मिलती हैं। ऐसे में मरीजों को अधिक कीमत भी चुकानी पड़ती है। इस संबंध में मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत के बाद अब केजीएमयू प्रशासन की नींद टूटी है