उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में अंतिम सांस लिए केशरी नाथ त्रिपाठी

Shantanu Roy
8 Jan 2023 10:31 AM GMT
प्रयागराज में अंतिम सांस लिए केशरी नाथ त्रिपाठी
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प्रयागराज। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पश्चिम बंगाल के पूर्व गवर्नर पंडित केसरी नाथ त्रिपाठी का रविवार सुबह करीब 5 बजे निधन हो गया. लगभग 89 वर्ष की आयु में पंडित त्रिपाठी ने अपने प्रयागराज स्थित आवास पर अंतिम सांस ली. परिवार की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक शाम 4:00 बजे प्रयागराज के रसूलाबाद घाट पर अंतिम संस्कार होगा. केसरीनाथ त्रिपाठी के निधन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शोक जताया है. साथ में यूपी बीजेपी ने अपने तमाम कार्यक्रम को रद्द कर दिया है. बता दें कि 30 दिसंबर 2022 को तबीयत बिगड़ने पर पंडित त्रिपाठी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. हालांकि, उसके बाद 4 जनवरी को तबीयत में सुधार होने पर डिस्चार्ज होकर घर आ गए थे. पंडित केसरी नाथ त्रिपाठी अपने पीछे पुत्र अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी और दो बेटियों को छोड़ गए हैं. केसरीनाथ त्रिपाठी को आज ही लखनऊ के एसजीपीजीआई में भर्ती कराया जाना था. पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल पंडित केसरीनाथ त्रिपाठी का जन्म 10 नवंबर 1934 को हुआ था. पंडित केसरी नाथ त्रिपाठी बीजेपी के वरिष्ठ नेता रहे हैं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता के साथ ही साथ यूपी विधानसभा के कई वर्षों तक अध्यक्ष रहे. पंडित केसरीनाथ त्रिपाठी तीन बार यूपी विधानसभा अध्यक्ष रहे. भारतीय जनता पार्टी के यूपी ईकाई के अध्यक्ष भी रहे. पंडित केसरीनाथ त्रिपाठी 2014 से 2019 तक पश्चिम बंगाल के गवर्नर रहे इस बीच उन्हें बिहार, मेघालय और मिजोरम राज्यों का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया. झूंसी विधानसभा क्षेत्र से जनता पार्टी के सदस्य के रूप में 1977 से 80 तक विधायक रहे. इसी दौरान यूपी में संस्थागत वित्त और बिक्री कर के कैबिनेट मंत्री की भी जिम्मेदारी मिली. पंडित केसरीनाथ त्रिपाठी अप्रैल 1980 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए. जिसके बाद इलाहाबाद दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से 1989, 1991, 1993, 1996 और 2002 में विधायक चुने गए. उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष 1991 से 93 और 1997 से 2004 तक रहे. 2004 में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए और भाजपा के राष्ट्रीय अनुशासन समिति के सदस्य भी रहे. 2012 में प्रयागराज की इलाहाबाद दक्षिण विधानसभा सीट से विधानसभा का चुनाव लड़े और हार का सामना करना पड़ा. यहीं से राजनीतिक कैरियर का पतन शुरू हो गया.
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