उत्तर प्रदेश

गैंगरेप पीड़िता को घंटों घुमाने वाले कौशांबी थाना SHO पर फिर गिरी गाज

Shantanu Roy
15 Aug 2022 4:07 PM GMT
गैंगरेप पीड़िता को घंटों घुमाने वाले कौशांबी थाना SHO पर फिर गिरी गाज
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बड़ी खबर
गाजियाबाद। गाजियाबाद में फरवरी 2021 में गैंगरेप पीड़िता को सीमा विवाद में उलझाकर घंटों घुमाने पर सस्पेंड होने वाले इंस्पेक्टर राघवेंद्र पर इसी मामले में एक बार फिर गाज गिरी है। विभागीय जांच में लापरवाही के दोषी पाए जाने पर एसएसपी ने इंस्पेक्टर को लाइन हाजिर कर दिया है। वह कुछ समय पहले ही कौशांबी एसएचओ बने थे। विभागीय जांच के आधार पर इंस्पेक्टर पर कार्रवाई होना बाकी है। इंदिरापुरम क्षेत्र के एक मॉल में नौकरी करने वाली युवती 25 फरवरी 2021 की रात को ड्यूटी से लौट रही थी। विजयनगर बाईपास आकर वह लालकुआं के लिए ऑटो में बैठी। उसमें पहले से ही चार लोग थे। चालक और दो अन्य लोग उसे लालकुआं ओवरब्रिज के ऊपर से ही ले जाने लगे। विरोध करने पर युवती का मुंह बंदकर उसे जंगल में ले जाकर गैंगरेप किया। पीड़िता रात साढ़े 11 बजे मसूरी थाने पहुंची, लेकिन कार्रवाई की बजाय पुलिस सीमा विवाद में उलझी रही।
यह बरती थी लापवाही
मसूरी पुलिस ने चार घंटे तक पीड़िता को यहां से वहां घुमाया और फिर पिलखुवा क्षेत्र में घटना होने की बात कही। तड़के करीब साढ़े तीन बजे मसूरी पुलिस ने हापुड़ पुलिस को सूचना दी। इसी लापरवाही के चलते तत्कालीन एसएसपी कलानिधि नैथानी ने उन्हें सस्पेंड कर विभागीय जांच के आदेश दिए थे।
जुगत लगाकर इंस्पेक्टर बना
निलंबन के कुछ महीनों बाद राघवेंद्र सिंह बहाल कर दिए गए, जबकि उनके खिलाफ विभागीय जांच जारी रही। इस दौरान वह साइड लाइन रहे। हालांकि, किसी तरह जुगत लगाकर राघवेंद्र सिंह कौशांबी एसएचओ बन गए। चार्ज पर डेढ़ माह भी पूरा नहीं हुआ था कि विभागीय जांच में दोषी पाए गए, जिसके चलते एसएसपी ने राघवेंद्र सिंह को थाने से हटाकर लाइन हाजिर कर दिया। एसपी सिटी प्रथम निपुण अग्रवाल इंस्पेक्टर के खिलाफ विभागीय जांच कर रहे थे।
वर्ष 2021 में सस्पेंड होने वाले पुलिसकर्मी
05 इंस्पेक्टर
11 सब-इंस्पेक्टर
02 क्लर्क
26 हेड कॉन्स्टेबल
20 कॉन्स्टेबल
एसएसपी मुनिराज जी. ने कहा कि विभागीय जांच में दोषी पाए जाने के चलते कौशांबी एसएचओ को लाइनहाजिर किया गया है। विभागीय जांच के बाद भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर इंस्पेक्टर राघवेंद्र सिंह को दंडित किया जाएगा।
2021 में विभागीय जांच और कार्रवाई
● 259 पुलिसकर्मियों के खिलाफ बैठी विभागीय जांच।
● 148 पुलिसकर्मी विभागीय जांच में दोषी मिले, जिनमें नौ इंस्पेक्टर भी शामिल थे।
● 05 ट्रैफिक कर्मियों को न्यूनतम वेतनमान का दंड मिला।
● 09 पुलिसकर्मियों को अर्थदंड की सजा मिली।
● 01 पुलिसकर्मी को बर्खास्तगी का नोटिस जारी हुआ, जिसे इस वर्ष बर्खास्त कर दिया गया।
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