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Kaushambi: 17 वर्षीय किशोरी ने अपने कमरे में फंदा लगाकर आत्महत्या की
कौशांबी: वैशाली सेक्टर तीन निवासी 17 वर्षीय किशोरी ने बुधवार को अपने कमरे में ही फंदा लगाकर जान दे दी। किशोरी दिल्ली के एक निजी स्कूल में 12वीं की छात्रा थी। बुधवार को स्कूल के पेरेंट्स-टीचर्स मीटिंग में उसकी मां ने यूनिट टेस्ट में नंबर कम आने पर डांट लगाई थी।
एसीपी इंदिरापुरम स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि वैशाली सेक्टर तीन निवासी एक व्यक्ति दिल्ली के एक निजी बैंक में कार्य करते हैं। बुधवार को बैंक कर्मी और उनकी पत्नी बेटी के स्कूल पीटीएम (पेरेंट टीचर मीटिंग) में गए थे। यूनिट टेस्ट में कम नंबर आने पर मां ने बेटी को डांट दिया और पढ़ाई पर ध्यान देने की बात कही थी। इसके बाद परिजन बेटी को लेकर घर लौट गए।
शाम को बैंक कर्मी पत्नी और छोटे बेटे के साथ कॉलोनी में ही टहलने चले गए। छात्रा घर पर अकेली थी। जब परिजन लौटे तो बेटी को फंदे पर लटका देखा। बैंक कर्मी ने तुरंत बेटी को फंदे से उतारा और पास में ही स्थित निजी अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अस्पताल प्रशासन की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची। एसीपी ने बताया कि मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है और न ही किसी तरह के आरोप की बात सामने आई है।
नकारात्मक बोलने की जगह बच्चों को समझाएं: मनोचिकित्सक डॉ. संजीव त्यागी ने बताया कि 10वीं के बाद माता-पिता बच्चों पर अपनी इच्छाएं थोप देते हैं। इससे इंटरमीडिएट में बच्चों के पढ़ाई पर असर पड़ता है। बच्चों को लगता है कि उन्हें कोई सुनने-समझने वाला नहीं है। इस वजह से वे अनावश्यक दबाव में आते हैं और मानसिक तौर पर परेशान रहने लगते हैं और आत्मघाती कदम उठा रहे हैं। प्री-बोर्ड की परीक्षाएं हो चुकी हैं, बोर्ड की परीक्षाएं आने वाली हैं। ऐसे में माता-पिता को अपने बच्चों के साथ बैठकर बातचीत करना और उन्हें समझाना चाहिए। साथ ही नकारात्मक बातें करने और डांटने से बचते हुए उन्हें अच्छे प्रयास के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।