उत्तर प्रदेश

प्रयाग की संस्कृति में है कल्प और कल्पवास

Admin Delhi 1
9 May 2023 2:45 PM GMT
प्रयाग की संस्कृति में है कल्प और कल्पवास
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इलाहाबाद न्यूज़: इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज इंटैक की ओर से हिन्दुस्तानी एकेडमी में पुस्तक विमोचन समारोह आयोजित किया गया. इस अवसर पर अतिथियों ने शिक्षक व साहित्यकार अनुपम परिहार की पुस्तक प्रयागराज की धार्मिक एवं आध्यात्मिक विरासत का विमोचन किया. पुस्तक पर चर्चा करते हुए मुख्य वक्ता प्रो. हेरंब चतुर्वेदी ने पुस्तक के सांस्कृतिक ऐतिहासिक पक्ष पर प्रकाश डाला. कहा कि समुद्र मंथन, कल्प, कल्पवास संस्कृति का केंद्र प्रयाग में है. लोक में सरस्वती आज भी प्रवाहित हैं. पुस्तक में द्वादश माधव के साथ वेणी माधव का जिक्र होना चाहिए. न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने कहा मैं भी प्राचीन इतिहास का छात्र रहा हूं.

प्रयागराज की सांस्कृतिक विरासत बहुत समृद्ध है. यहां की सभ्यता और संस्कृति से दुनिया के दूसरे देश प्ररेणा लेते हैं. वक्ता साहित्यकार रविनंदन सिंह ने कहा कि प्रयागराज में विविध सांस्कृतिक छवियां हैं. 1583 ई. के पूर्व यह प्रयाग था. 1583 में इलहाबास हुआ, जो शाहजहां के कार्यकाल में इलाहाबाद हो गया. 2018 से तीर्थराज, ब्रह्मक्षेत्र, प्रजापति क्षेत्र, तीर्थराज जैसे कई नाम दिए गए. संयोजन शंभु चोपड़ा ने किया. डॉ. स्कंद शुक्ल, बाबा अवस्थी, अपराजिता, स्वस्तिक बोस, डॉ. अजय मालवीय, नीलेश नारायण, शुभांकर दत्ता, प्रवीण सिंह, अरिवंद मालवीय, डॉ. पूर्णिमा मालवीय, आदर्श मालवीय, अंजली सिंह, मारिया सिंह, शिवानी, प्रो. जमील अहमद, अनु अग्रवाल, पूजा गुप्ता, वैभव मैनी मौजूद रहीं.

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