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उत्तर प्रदेश
कल मनाई जायेगी कजरी तीज, महादेवा में जलाभिषेक को लगी कतार
Rani Sahu
29 Aug 2022 12:30 PM GMT
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कल मनाई जायेगी कजरी तीज
बाराबंकी, जिले के प्रसिद्ध लोधेश्वर महादेवा में हरितालिका तीज ( कजरी तीज) के अवसर पर लगने वाले मेले की शुरुआत आज सोमवार श्रद्धालुओं के जल चढ़ाने के साथ हो गई। आज से शुरु हुए इस मेले में 2 लाख से भी अधिक भक्त भगवान लोधेश्वर को जल चढ़ाएंगे। जिसको लेकर यहां रविवार की देर रात से ही भक्तों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया। यह सिलसिला मंगलवार की देर रात तक अनवरत जारी रहेगा। मेले में आए हुए लोगों सुरक्षा के लिए प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए हैं।
बताते चलें कि भाद्र पक्ष के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर कजरी तीज का व्रत रखा जाता है। शास्त्रों के मुताबिक इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रख माता पार्वती व भगवान शिव की मिट्टी की मूर्ति बनाकर विधिवत पूजा-अर्चना करती हैं। वहीं कुंवारी कन्याएं भी मनवांछित वर की प्राप्ति के लिए भगवान भोलेनाथ के इस पवित्र व्रत को रखकर विधिवत पूजन अर्चन करती हैं।
इस दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर अपने सभी काम जल्दी खत्म कर लेती हैं। फिर वह सोलह श्रृंगार कर नए वस्त्रों को धारण करती है। इसके बाद मां पार्वती का मनन करते हुए निर्जला व्रत का संकल्प लेकर शिव और पार्वती के लिए भोग बनाती हैं। जिसमें मालपुआ व खीर भोले बाबा को अति प्रिय है। इसके लिए बड़ी संख्या में महिलाएं दिन महादेव को मालपुआ व खीर का प्रसाद चढ़ाती हैं।
इस संबंध में महादेवा मंदिर के पुजारी पंडित अनिल अवस्थी ने बताया कि कल कजरी तीज के दिन बड़ी संख्या में महिलाएं और कन्याएं निर्जला व्रत रखती हैं। फिर शुभ मुहूर्त में मिट्टी से माता पार्वती और महादेव की मूर्ति बनाकर उसे एक चौकी पर स्थापित करती हैं। के बाद सर्वप्रथम गणेश जी का पूजन कर भगवान शिव को गंगाजल, वस्त्र, चंदन, सफेद, फूल, अक्षत,शहद, गाय का दूध, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, मदार सहित धूप, दीप, और गंध के माध्यम से पूजन अर्चन करती हैं। इसके बाद माताएं व बहने मां पार्वती को हरे रंग की साड़ी लाल या हरे रंग की चूड़ियां चढ़ाती है।
महादेवा के अलावा जिले के अन्य शिव मंदिरों में भी मंगलवार को कजरी तीज के अवसर पर होने वाले जलाभिषेक की तैयारी सोमवार को जारी रही। इस अवसर पर कई स्थानों से भगवान शिव की बारात भी निकलेगी।
अमृत विचार ।
Rani Sahu
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