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बरेली: नगर निगम के अफसरों और कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार के आरोपों की पहले से कमी नहीं है लेकिन अब नगर आयुक्त ने तीन क्लास-1 अफसरों के साथ तीन कर्मचारियों के खिलाफ जांच शुरू करा दी है। कहा जा रहा है कि जल्द ही यह जांच पूरी हो जाएगी। तीन दिन पहले निर्माण विभाग के एक कर्मचारी को निलंबित किया जा चुका है। एक जूनियर इंजीनियर के खिलाफ भी कार्रवाई की संस्तुति शासन को भेज दी गई है। इसके बाद नगर निगम में बेचैनी का माहौल है।
नगर आयुक्त निधि गुप्ता वत्स भ्रष्ट अफसरों और कर्मचारियों के क्रियाकलापों की कई चक्रों की जांच करा चुकी हैं। इनमें से कई को आरोप पत्र देकर जवाब भी लिया जा चुका है। इसी प्रक्रिया में तीन दिन पहले निर्माण विभाग के एक कर्मचारी को बर्खास्त किया जा चुका है। एक जेई के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की संस्तुति शासन को भेज दी गईहै। पिछले दिनों जेई ने निर्माण विभाग में आंसू बहाकर साथी कर्मचारियों की सहानुभूति बटोरने की कोशिश की लेकिन यह कोशिश भी किसी काम नहीं आई। इसके साथ मूल पदों के बजाय दूसरे मलाईदार पदों पर काम कर रहे कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है।
आठ साल बाद निगम में बर्खास्त हुआ कर्मचारी: इससे पहले 2015-16 में तत्कालीन नगर आयुक्त शीलधर यादव ने गलत तथ्य दर्शाकर पिता की जगह नौकरी पाने वाले बाबू आदित्य कुमार मिश्र की सेवाएं समाप्त की थीं। 2008 में नगर आयुक्त रहे उपेंद्र नारायण ठाकुर ने नगर निगम में कर्मचारियों से मारपीट करने और अफसरों को कमरे में बंद करके आतंक मचाने पर सीवर कर्मी विनोद आजाद को बर्खास्त किया था। 2005 में नगर आयुक्त रहे शैलेंद्र चौधरी ने 13 लोगों की विभिन्न मामलों में सेवाएं समाप्त की थी। वर्ष 95-96 में सात कर्मचारियों की टैक्स जमा कराने में रुचि न लेने पर सेवाएं समाप्त की गई। गबन और वित्तीय अनियमितताओं के मामले में भी कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त की गईं।