उत्तर प्रदेश

Jhansi: उद्यानिकी फसलों में 20 से 40 फीसदी नुकसान रोकना बड़ी चुनौती

Admindelhi1
16 Jan 2025 8:05 AM GMT
Jhansi: उद्यानिकी फसलों में 20 से 40 फीसदी नुकसान रोकना बड़ी चुनौती
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"कृषि खाद्य सुरक्षा के लिए सूक्ष्मजीवियों के योगदान पर कार्यशाला शुरू हुई"

झाँसी: केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय में कृषि खाद्य सुरक्षा के लिए सूक्ष्मजीवियों के योगदान पर कार्यशाला शुरू हुई. दो दिवसीय कार्यशाला में बुविवि के साथ इंडियन फाइटोपैथोलॉजिकल सोसायटी दिल्ली भी कृषि विवि में संयुक्त रूप से शामिल रही. यहां पुस्ताकों का विमोचन हुआ. कई देश के कृषि विशेषज्ञ सम्मानित हुए. विशेषज्ञ बोले उद्यानिकी फसलों में 20 से 40 फीसदी नुकसान चुनौती है. इसे कम करने के लिए प्रयास तेज करने होंगे.

रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय आज राष्ट्रीय कार्यशाला के दौरान सभी अतिथियों ने अंग्रेजी पुस्तक सोवेनियर एवं दूसरी पुस्तक हिन्दी पौध रोग पहचान एवं प्रबंधन कृषक मार्गदर्शिका का संयुक्त रूप से विमोचन किया. पूर्व सदस्य कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड नई दिल्ली डॉ. पीके चक्रबर्ती ने बताया कि पौध रोग एवं कीटों से खाद्यान्न एवं उद्यानिकी फसलों में 20 से 40 प्रतिशत तक का नुकसान होता है. पौध सुरक्षा विशेषज्ञों के पास यह चुनौती है कि इस नुकसान को कम करें एवं फसल गुणवत्ता को भी बनाए रखें. रसायन उपयोग मंथन में सामने आया कि भारत प्रति हैक्टेयर 346 ग्राम कृषि रसायनों का प्रयोग करता. जबकि चीन, जापान 13 से 16 किग्रा कृषि रसायनों का प्रयोग करते. किसानों तक सरल तकनीक पहुॅचाने की जरूरत है. जैव सुरक्षा, जैव रसायन, सूक्ष्मजीवों आदि विषयों पर उचित नीतिगत निर्णय लेने की आवश्यकता है. नई कृषि तकनीकों जैसे रोग प्रतिरोधी किस्मों, आनुवांशिक सुधार कार्य करने पर जोर दिया.

असम कृषि विवि जोरहट असम पूर्व कुलपति डॉ. एएन मुखोपाध्याय ने बताया कि खाद्यान्न, फल एवं सब्जियों, दूध आदि का रिकोर्ड उत्पादन देश में हो रहा. बुुंदेलखण्ड विवि झांसी व बांदा कृषि विवि के कुलपति डॉ. मुकेश पांण्डे बोले कि कृषि आयात कम करने तथा निर्यात को बढ़ावा देने की जरूरत है. बुंदेलखण्ड क्षेत्र खाद्यान्न फसलों, छोटे पशुधन, दलहन एवं तिलहन आदि प्रमुखता से लिए जाते हैं जिनकी उत्पादकता बढ़ाने की जरूरत है. रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी के कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि बुंदेलखण्ड की जलवायु अन्य क्षेत्रों से भिन्न है. देशभर के आए कई विशेषज्ञों को सम्मानित किया. उन्हें शॉल उढ़ाया. डॉ. दिनेश सिंह, भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ, पूर्व सदस्य कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड, नई दिल्ली, डॉ. पीके चक्रबर्ती , पूर्व सदस्य कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड नई दिल्ली डॉ. सीडी माई, कुलाधिपति कृषि विवि के अलावा कई मौजूद रहे.

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