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झाँसी: खुद को किसानों का रहनुमा दर्शाने वाले एफपीओ वास्तविकता में उनके शोषक बन गए हैं. इसके पदाधिकारी कंपनी सेक्रेटरी के दांवपेंचों और विभागीय अफसरों की मिलीभगत से सदस्य किसानों को बंटने वाला डिवाईडेंड अपनी तिजोरियों में भर रहे हैं. वहीं किसान बेगी की स्थिति में खड़ा है.
पारंपरिक खेतीबाड़ी से वैज्ञानिक विधि से विभिन्न कृषि कार्य करके बागवानी, सब्जी, औषधियां सहित विभिन्न फसलें उगाने और फिर उसको प्रोडेक्ट की तर्ज पर बाजार में बेचने के लिए भारत सरकार ने एफपीओ गठित करने का निर्णय लिया था. कृषकों की रुचि बढ़े इसलिए कृषि संबंधी संसाधन जुटाने को एफपीओ को बड़ी आर्थिक मदद और योजनाओं के लाभ में वरीयता दी गयी. चतुर व्यक्तियों ने किसानों को बातों में उलझाकर उनसे आधार, बैंक पास बुक की फोटो कापी आदि अभिलेख लेकर एफपीओ का सदस्य बना लिया और परिजनों को जानकारी तक नहीं दी. समय-समय पर सरकारी खरीद व विभिन्न खाद्य सामग्रियों की बिक्री से होने वाली अमादनी, सरकार से मिलने वाले अनुदान का लाभ डिवाईडेंड के रुप में कृषकों को नहीं दिया जाता है 31 2023 को भ्रमण पर आए तत्कालीन कृषि सचिव राजशेखर के विभागीय अफसरों व एफपीओ पदाधिकारियों से कृषकों को डिवाईडेंड बांटने और एफपीओ के माध्मय से लाभ के सवाल पर सभी लोग बगले झांकने लगे थे. निर्देशों के क्रम में अभी तक एफपीओ संचालक कृषि विभाग अफसरों को सूचना नहीं दे सके हैं.
एफपीओ निष्क्रिय घोषित किए गए: कृषकों का हक मारने के उद्देश्य से बनाई गई एफपीओ के खिलाफ कृषि विभाग अधिकारियों ने कार्रवाई शुरू कर दी. काम नहीं करने वाले एफपीओ को निष्क्रिय घोषित किया जा रहा है. बीत दिनों उप निदेशक कृषि वसंत दुबे ने पर्ल सीएससी फार्मर प्रोड्यूशर कंपनी लिमिटेड, सम्मान फार्मर प्रोड्यूशर कंपनी, सिमरधा फार्मर प्रोड्यूशर कंपनी लिमिटेड, आदि फार्मर प्रोड्यूशर कंपनी लिमिटेड, खेत खलिहान फार्मर प्रोड्यूशर कंपनी लिमिटेड को निष्क्रिय सूची में डाल दिया है. कृषकों संग क्रियाकलापों व विभागीय कार्यक्रमों में प्रतिभाग नहीं करने के कारण यह कदम उठाए गए हैं.