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जागृति विहार एक्सटेंशन: प्रशासन के बन रहे किसानों से टकराव के हालात
मेरठ न्यूज़: जागृति विहार एक्सटेंशन की जमीन पर कब्जे को लेकर तनातनी कम नहीं हो रही है। किसानों और आवास विकास के अधिकारियों के बीच टकराव की स्थिति फिर पैदा हो सकती है। क्योंकि किसानों ने आवास विकास के जो भी कार्य जागृति विहार एक्सटेंशन में चल रहे थे, उनके निर्माण बंद करा दिये हैं। इसके बाद आवास विकास के अधिकारियों ने एसएसपी को पत्र लिखकर फोर्स की मांग की है। ऐसे में टकराव बढ़ना लाजिमी है। क्योंकि किसान काम नहीं होने देंगे और आवास विकास परिषद के अधिकारी फोर्स लेकर काम करने का प्रयास करेंगे। ऐसी दशा में टकराव निश्चित रूप से पैदा हो सकता है। किसानों का कहना है कि जमीन अधिग्रहण का उन्हें पूरा मुआवजा नहीं मिला है। जब तक यह मुआवजा नहीं देंगे, तब तक काम नहीं करने देंगे। ऐसे हालात में आवास विकास परिषद के अधिकारियों ने मुआवजे की राशि बढ़ाकर देने से हाथ खड़े कर दिए हैं। हालात इसी वजह से विकट बन गए हैं। दरअसल, जागृति विहार एक्सटेंशन में आवास विकास परिषद के अधिकारियों द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना की प्लान की थी, जिसमें काम भी चल रहा है। इस काम को भी किसानों ने रुकवा दिया है। यह शासन की प्राथमिकता में काम आता है। इसी वजह से भी आवास विकास परिषद के अधिकारी कुछ ज्यादा परेशान है
तथा बार-बार पत्र व्यवहार भी कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि आवास विकास परिषद के अधिकारियों को कई बार किसान दौड़ा चुके हैं, जिसके चलते टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। किसान आंदोलन पर अडिंग है तो आवास विकास परिषद के अधिकारी मुआवजा बढ़ाकर प्रतिकर के रूप में देने को तैयार नहीं है। इसी वजह से बात बिगड़ रही है।
शताब्दीनगर: 200 एकड़ जमीन पर अभी कब्जे के हालात नहीं: शताब्दीनगर में 200 एकड़ जमीन ऐसी है, जिस पर मेरठ विकास प्राधिकरण किसानों से कब्जा नहीं ले पाया। जब भी प्राधिकरण अधिकारी शताब्दीनगर की 200 एकड़ जमीन पर कब्जे की कोशिश करते हैं, तभी बवाल खड़ा हो जाता है। कई बार प्रशासन और किसानों के बीच एक टेबल पर मीटिंग भी हो चुकी है, लेकिन इसका कोई समाधान नहीं निकला। अब फिर से मेरठ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने जमीन पर कब्जा लेने की कवायद शुरू की है। प्राधिकरण इंजीनियरों ने शताब्दीनगर की विवादित जमीन पर दौरा भी किया और किस तरह से जमीन को कब्जा लिया जाए , इसको लेकर प्राधिकरण के अधिकारी योजना बना रहे हैं।
दरअसल, इसको लेकर फोर्स की मांग भी की गई है। फोर्स मिली तो किसान और पुलिस आमने-सामने हो सकती हैं। क्योंकि लंबे समय से शताब्दीनगर में मुआवजा लेने की 'रार' बनी हुई है, जिसके चलते दो दशक बाद भी किसानों से प्रशासन जमीन पर कब्जा नहीं ले पाया है। कब्जा नहीं मिलने पर आवंटी भी परेशान है। क्योंकि आवंटियों को मेरठ विकास प्राधिकरण ने प्लाट तो आवंटित कर दिए और आवंटियों से पैसा भी पूरा जमा करा लिया, लेकिन उनको प्लाट पर कब्जा नहीं दे पाया है। बड़ी तादाद में आवंटी 'रेरा' में पहुंच गए हैं और मेरठ विकास प्राधिकरण पर मुकदमा ठोक दिया है। प्राधिकरण ने आवंटियों को यह तो कह दिया कि उन्हें उनका भुगतान वापस कर दिया जाएगा। दो दशक तब एमडीए ने आवंटियों का पैसा भी प्रयोग कर लिया तथा इसके बाद आवंटी को जो पैसा जमा हुआ था, वहीं पैसा लौटा रहे हैं। इसमें ब्याज भी नहीं दिया जा रहा हैं, जिस पर आवंटियों ने आपत्ति व्यक्त की हैं। आवंटी एमडीए की इस नीति से संतुष्ट नहीं हैं। क्योंकि 20 साल पहले जो पैसा लगा था, तब जमीन का मूल्य कम था। वर्तमान में जमीन का मूल्य आसमान छू रहा हैं। ऐसी स्थिति में आवंटी खुद को मेरठ विकास प्राधिकरण से ठगा महसूस कर रहे हैं। अब देखना यह है कि मेरठ विकास प्राधिकरण शताब्दीनगर की 200 एकड़ जमीन पर कब्जा ले पाता है या फिर फाइलों में ही यह कब्जे का मामला दौड़ता रहेगा।