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आईवीआरआई के वैज्ञानिकों ने इंसानों के लिए खतरनाक गोमूत्र के दावे को किया खारिज
बरेली: गोमूत्र अर्क जीवाणु रोधी और कवक रोधी गुणों से भरपूर होने के कारण इंसानों के लिए वरदान है। आईवीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने अपने शोध में यह दावा किया है। उन्होंने पिछले दिनों एक दावे को खारिज कर दिया है। इसमें कहा गया था कि गोमूत्र इंसानों के लिए खतरनाक है। गोमूत्र के औषधीय गुणों को वैज्ञानिक विधि से परखने के लिए आईवीआरआई के डॉ रविकांत अग्रवाल की देखरेख में डॉक्टर एसके मेंदीरत्ता, डॉक्टर सुमन तालुकदार, डॉक्टर अभिषेक, डॉक्टर एमके सिंह, डा एसई जाधव, डॉ जीके शर्मा, डॉ आर एस राठौर और एबी पांडे की टीम ने 2018 में एक शोध परियोजना शुरू की थी। उसके आधार पर उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि गोमूत्र इंसानों के लिए वरदान है। आईवीआरआई के डायरेक्टर डॉ त्रिवेणी दत्त ने बताया कि शोध कार्य के निष्कर्ष में पाया गया कि गोमूत्र अर्क जीवाणु रोधी और कवक रोधी गुण है। प्राचीन शास्त्रों में भी इसके औषधीय गुणों का वर्णन किया गया है। हालांकि मवेशियों की विभिन्न नस्लों, भौगोलिक स्थानों, मौसम आदि का रोगाणु रोधी और प्रतिरक्षा उत्तेजक गतिविधियों पर प्रभाव तथा इनके लिए जिम्मेदार सक्रिय योगिकों की पहचान करने के लिए विस्तृत प्रयोग करने की आवश्यकता है।
संकर नस्ल की गायों से बेहतर है साहीवाल और थारपारकर गायों का गौमूत्र
आईवीआरआई में गायों के ताजा मूत्र में जीवाणु संदूषण की संभावना से बचने के लिए गोमूत्र अर्क के औषधीय गुणों केंद्रित करते हुए अध्ययन किया गया। इसमें देसी और संकर नस्ल के अलावा साहीवाल और थारपारकर गायों के मूत्र पर शोध किया गया। संकर नस्ल की गायों की तुलना में साहिवाल और थारपारकर नस्ल की गायों का मूत्र उच्च जीवाणु रोधी पाया गया। गोमूत्र अर्क का ग्राम नेगेटिव जीवाणुओं ई. कोलाई, साल्मोनेला स्पीशीज, स्यूडोमोनास, एरु गिनोसा के खिलाफ जीवाणु नाशक और ग्राम पॉजिटिव जीवाणुओं लिस्टेरिया मोनोसाइटोजेनेस बेसिलस सेरेस, स्टेफिलोकोकस ऑरियस के खिलाफ जीवाणु रोधी पाया गया।
देसी गायों के गोमूत्र में होते हैं वाष्पशील अवयव, एक साल तक रहा जीवाणु रोधी
देसी गायों के गोमूत्र में वाष्पशील अवयव होते हैं। वाष्पीकृत अवस्था में भी जीवाणु रोधी प्रभाव डालते हैं। गोमूत्र अर्क का जीवाणु रोधी प्रभाव 1:4 से 1:8 विलियन तक प्राप्त हुआ है। प्रशीतित तापमान पर गोमूत्र अर्क के भंडारण करने पर लगभग 1 वर्ष तक भी इसकी रोग रोधी गतिविधियां प्रभावित नहीं हुई। एक अन्य प्रयोग में गोमूत्र अर्क ने यीस्ट (कैंडिडा अल्बिकेंस और मालासेजिया फरफुर) के खिलाफ कवकरोधी प्रभाव का प्रदर्शन किया। गोमूत्र अर्क के जीसीएमएस प्रोफाइलिंग में कई योगिक पाए गए, जो इसकी रोगाणु रोधी प्रभाव के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं.