उत्तर प्रदेश

ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग है या फव्वारा, हाईकोर्ट में जांच कमेटी बनाने की याचिका पर सुनवाई आज

Renuka Sahu
10 Jun 2022 2:14 AM GMT
Is there a Shivling or fountain in the Gyanvapi Mosque, hearing on the petition to form an inquiry committee in the High Court today
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फाइल फोटो 

वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर में मिले ढांचे के शिवलिंग होने या फिर फव्वारा होने के दावों का पता लगाने के लिए जांच कमेटी बनाने के लिए एक याचिका दायर की गई थी.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वाराणसी (Varanasi) में ज्ञानवापी परिसर में मिले ढांचे के शिवलिंग होने या फिर फव्वारा होने के दावों का पता लगाने के लिए जांच कमेटी बनाने के लिए एक याचिका दायर की गई थी. इस याचिका पर आज इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ पीठ में सुनवाई होगी. न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई करेंगे. वाराणसी और लखनऊ के लोगों ने इस याचिका को अधिवक्ता अशोक पांडे के जरिए दायर किया था. याचिका में केंद्र और राज्य सरकार समेत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को पक्षकार बनाया गया है. बता दें कि ज्ञानवापी (Gyanvapi Masjid) सर्वे के बाद से ही हिंदू पक्ष मस्जिद के वजुखाने में शिवलिंग मिलने का दावा कर रहा है. वहीं मुस्लिम पक्ष उसे फव्वारा बता रहा है.

केंद्र-राज्य सरकार और ASI का बनाया पक्षकार
दरअसल इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में मंगलवार को एक याचिका दायर कर वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में हाल में मिली एक विवादित संरचना की सच्चाई का पता लगाने के लिए एक समिति गठित करने के लिए निर्देश देने का आग्रह किया गया. यह जनहित याचिका सुधीर सिंह, रवि मिश्रा, महंत बालक दास, शिवेंद्र प्रताप सिंह, मार्कंडेय तिवारी, राजीव राय और अतुल कुमार ने दायर की है. याचिकाकर्ताओं ने मामले में केंद्र सरकार, राज्य सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पक्ष बनाया है.
शिवलिंग का दावा
याचिकाकर्ताओं ने याचिका में कहा है कि हाल में वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में एक संरचना मिली है, जिसके बार में हिंदू दावा करते हैं कि यह शिवलिंग है जबकि मुसलमान इस बात पर जोर देते हैं कि यह फव्वारा है. इसमें कहा गया है कि यह विवाद ना केवल देश के भीतर बल्कि दुनिया भर में समुदायों के बीच विवाद पैदा कर रहा है. याचिका में कहा गया है कि यदि एएसआई और सरकारों ने संरचना की सच्चाई का पता लगाने के लिए एक समिति नियुक्त करके अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया तो विवादों से बचा जा सकता है.
सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में बने समिति
याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट से आग्रह किया कि वह एएसआई और राज्य व केंद्र सरकारों को संरचना की सच्चाई का पता लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के मौजूदा या सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त करने का निर्देश दे. बता दें कि वाराणसी की एक अदालत ने ज्ञानवापी परिसर की वीडियोग्राफी कर सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था और हिंदू पक्ष ने इस दौरान एक शिवलिंग मिलने का दावा किया था. हालांकि मुस्लिम पक्ष का दावा है कि वह वजू खाने में मौजूद फव्वारे का हिस्सा है.
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