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गाजियाबाद के विभागों में करोड़ों रुपये की अनियमितता का खुलासा
गाजियाबाद: स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग ने विभिन्न विभागों में किए ऑडिट में करोड़ों रुपये की अनियमिताओं को उजागर किया है. विभाग ने अपनी यह रिपोर्ट विधानसभा पटल पर रखी है. वर्ष 2016 से 2018 की समयावधि वाली इस रिपोर्ट में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण समेत कई विभागों की कुल 118 मामलों अनियमितताओं की आशंका जाहिर की है. इस रिपोर्ट में मेट्रो सेस से लेकर एलिवेटेड रोड के अलावा किराए पर लिए गए जीडीए वीसी आवास के भुगतान पर भी सवाल उठाए हैं. विभागों ने भी जवाब की रिपोर्ट तैयार करने के लिए दस्तावेज खंगालने शुरू कर दिए हैं.
सभी सरकारी विभागों में विकास कार्यों पर किए जाने वाले खर्च का सरकारी एजेंसियां हर साल ऑडिट करती हैं. इस ऑडिट के जरिए ही आर्थिक अनियमितताओं का पता चलता है. ऑडिट में उठाए गई आशंकाओं का जवाब संबंधित विभाग को देना होता है. इसी क्रम में वर्ष 2016-17 व 2017-18 के लेखा-जोखा का वर्ष 2018-19 में ऑडिट कराया गया. स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग ने अब इसकी रिपोर्ट विधानसभा पटल पर रखी है. इसके बाद सभी विभागों से ऑडिट में मिली अनियमितताओं पर जबाव मांगा गया है.
जीडीए में सबसे ज्यादा 96 मामलों पर उठाए गए सवाल रिपोर्ट के मुताबिक जीडीए में वर्ष 2016-17 में 74 अनियमितताओं की आशंका जाहिर की गई. लेखा परीक्षा विभाग के मुताबिक जून 2015 से जनवरी 2017 तक जीडीए उपाध्यक्ष आर-5/105 राजनगर का प्रतिमाह 47 हजार रुपये किराया भुगतान करके 7,94,900 रुपये का अमान्य भुगतान किया. वहीं जीडीए उपाध्यक्ष आवास राजकुंज सेक्टर-23 राजनगर के किराए की वसूली नियमानुसार न करके 5,81,983 रुपये की आर्थिक क्षति के संभावना बताई है. साथ ही जीडीए के मुख्य अभियंता, उपाध्यक्ष व स्थानांतरित उपाध्यक्ष के विद्युत बिलों, जनरेटरों का भुगतान प्राधिकरण निधि से करके 10,75,991 रुपये का अनियमित भुगतान किया. जीडीए द्वारा मेट्रो सेस के रूप में दी गई 643 करोड़ रुपये और यूपी गेट से राजनगर एक्सटेंशन तक बनी एलिवेटेड रोड निर्माण के लिए खर्च किए गए. ऑडिट रिपोर्ट में विभिन्न बिल्डरों से विकास शुल्क का भुगतान समय अवधि पर न कराकर प्राधिकरण को आर्थिक हानि पहुंचाई गई है.