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भोजन बनाकर घर पर इंतजार कर रही रंजना को क्या पता था कि काल के क्रूर पंजे ने सदा के लिए उनका सुहाग छीन लिया। वह बिलख रही थीं और महिला सिपाही संभालने में जुटी रहीं। मौत की खबर सुनकर पुलिस विभाग के अलावा जानने वाले लोग भी अवाक रह गए। उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था। शाम को पहुंचे घरवाले व रिश्तेदार शव को देख फफक पड़े।
उनके जानने वाले बताते हैं कि पुलिस विभाग में होने के बावजूद जौनपुर जिले के चितईपुर गांव निवासी आनंद शंकर सिंह (52) आम लोगों जैसा व्यवहार अपनाते थे। इसकी वजह से वह जहां भी रहे, उनके चाहने वालों की तादाद भी अधिक रही।
करीब दो साल से सदर कोतवाली में तैनात दरोगा पत्नी रंजना सिंह के साथ किराए के मकान में रहते थे। सावन का दूसरा सोमवार था। इसलिए पति-पत्नी सुबह थोड़ा पहले उठे और पूजा करने के बाद पत्नी से बोले कि भोजन बनाओ, विभागीय काम से जा रहा हूं। कुछ देर में लौटता हूं।
रंजना भोजन बनाकर पति के आने का इंतजार कर रही थीं, लेकिन दुर्घटना में मौत की खबर आई। यह सुनने के बाद वह अचेत हो गईं। रिश्तेदार और घरवालों में चीख-पुकार मच गई।
देर शाम दरोगा के बहनोई दिनेश कुमार सिंह, धीरेंद्र शर्मा, मोहित कुमार और साले राकेश राय पोस्टमार्टम हाउस पहुंंचे। शव को देखकर सभी की आंखें भर आईं। इसके बाद पोस्टमार्टम हुआ। दरोगा के जानने वालों की भी भीड़ जुटी रही।
बेटी की मौत भूली नहीं थी कि पति का छूटा साथ
दरोगा आनंद शंकर सिंह का 24 साल का इकलौता बेटा देवेंद्र उर्फ दीप है। वाराणसी में रहकर पढ़ाई करता है। एक बड़ी बेटी थी। उसकी शादी हो चुकी थी। डेढ़ साल पूर्व पडरौना अपने मां के पास आई थी। अचानक पेट में दर्द होने से उसकी मौत हो गई। देर रात बेटा भी पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंच गया। बेटी की मौत से रंजना अभी उबरी नहीं थीं कि पति की मौत ने उसे झकझोर दिया।
छोटेलाल और इस्माइल टेंपो से लेकर पहुंचे अस्पताल
पडरौना कोतवाली के हलका नंबर चार के दरोगा आनंद शंकर सिंह और महिपाल की तैनाती थी। सुबह हादसे में घायल की जानकारी महिपाल को सबसे पहले मिली। वह अकेले दुर्घटनास्थल की ओर बाइक से भागे जा रहे थे कि वार्ड नंबर एक के सभासद के पति छोटेलाल और इस्माइल टेंपो से घायल दरोगा को जिला अस्पताल के लिए लेकर निकल पड़े थे। रास्ते में मुलाकात हुई। जिला अस्पताल से रेफर होने के बाद एंबुलेंस से पुलिसकर्मी गोरखपुर मेडिकल कॉलेज ले जा रहे थे कि रास्ते में दम ताेड़ दिए।
आज के समय में ऐसा इंसान मिलना मुश्किल
आनंद शंकर सिंह के साथ कई जिलों में साथ नौकरी किए सदर कोतवाली के दरोगा राजेश विश्वकर्मा, रामचंद्र यादव, कसया में तैनात रत्नेश मौर्या, हनुमानगंज थाने पर तैनात सिपाही बृजेश राय की पुरानी बातों को याद कर उनकी आंखें भर आईं। कोतवाल राजप्रकाश सिंह ने कहा कि नए सिपाहियों से अधिक भाग दौड़ करते थे। काम में कभी पीछे नहीं हटते थे और हमेशा मुस्कुराते रहते थे।
देवरहा बाबा के थे भक्त, गरीबों की करते थे मदद
देवरिया जिले में करीब चार साल तक आनंद शंकर सिंह तैनात रहे। बनकटा थाना के अलावा खुखुंदू में कुछ दिनों तक प्रभारी थानेदार और मईल थाने पर करीब दो साल तक ड्यूटी की। मईल में तैनाती के दौरान वह हर रोज देवरहा बाबा आश्रम पर मत्था टेकने जाते थे। कोरोना काल में मईल थाना क्षेत्र के नेनुआ गांव निवासी मखनु यादव की बेटी की शादी में आर्थिक रुकावट पड़ रही थी।
इसकी जानकारी जब दरोगा को हुई तो वह डेढ़ लाख की मदद किए थे। मईल के बाद पडरौना कोतवाली में आए थे। मईल थाने पर 17 मई 2020 को अपनी शादी की सालगिरह पर क्षेत्र के सैकड़ों लोगों को भोजन कराकर चर्चा में आए थे। इनकी मौत की खबर सुनकर लोग काफी दुखी हुए।
साले से जीजा की रात को हुई थी बात
दो भाइयों में आनंद शंकर सिंह बड़े थे। पिता और छोटा भाई घर पर रहते हैं। दरोगा के साले राकेश राय ने बताया कि रात को जीजा फोन किए थे और बोले कि किसी दिन आओ ज्यादा दिन मिले हो गया। राकेश बोला कि जीजा वाराणसी की तरफ अपनी पोस्टिंग करवा लीजिए, तो बोले कि नहीं कुशीनगर भी ठीक है। कही भी मेहनत और ईमानदारी से काम करना है। जीवन में क्या रखा है।