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उत्तर प्रदेश
मेडिकल सप्लाई कॉर्पोरेशन के गोदाम में उप मुख्यमंत्री का निरीक्षण, 16.40 करोड़ रुपए की एक्सपायर्ड दवाएं मिलीं
jantaserishta.com
20 May 2022 4:25 PM GMT

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उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने शुक्रवार को राजधानी में ट्रांसपोर्ट नगर स्थित उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कॉर्पोरेशन के गोदाम में गुपचुप निरीक्षण कर छापेमारी की। निरीक्षण के दौरान गोदाम में जबरदस्त अव्यवस्था मिलीं। दवाएं इधर, उधर फेंकी पड़ी थीं। अलग-अलग डिब्बों की चेकिंग में उप मुख्यमंत्री ने 16,40,33,033 रुपये मूल्य की एक्सपायर्ड दवाएं पकड़ीं। उन्होंने इस पर वहां मौजूद अधिकारियों, कर्मचारियों को जमकर फटकार भी लगाई।
उन्होंने कहा कि ये दवाएं कॉर्पोरेशन द्वारा अस्पतालों को उपलब्ध कराई जानी चाहिए थीं, लेकिन नहीं भेजी गईं। करोड़ों की दवाएं गोदाम में रखे-रखे एक्सपायर हो गईं। ये घोर लापरवाही है। उन्होंने पूरे प्रकरण की जांच के लिए एक समिति का गठन करने व गोदाम में उपलब्ध दवाइयों का ऑडिट कराने के लिए पत्रावली प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही प्राथमिक जांच रिपोर्ट तीन दिन में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। उप मुख्यमंत्री ने निरीक्षण कार्रवाई की वीडियोग्राफी भी कराई और मौके पर बरामद सभी सबूत, रिकॉर्डिंग, कागजात जब्त किए जाने के निर्देश दिए। इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग के सचिव प्रांजल यादव भी साथ में मौजूद रहे।
ये दवाई का गोदाम है या सीमेंट की दुकान
जमीन से लेकर अलमारियों तक में बेतरतीब रखे दवाओं के गत्ते। जगह-जगह जमा धूल। न उचित देखरेख और न कोई व्यवस्था। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को कुछ ऐसी ही स्थिति दवा गोदाम में देखने को मिली। दोपहर में गोदाम में छापा मारने के बाद वहां की बदहाली पर उप मुख्यमंत्री ने स्टाफ से पूछा कि '...ये दवाई का गोदाम है या सीमेंट की दुकान, ये कहां बैठे हैं।' कबाड़ की तरह रखी दवाओं को देखकर उन्होंने पूछा कि 'दवा कैसे ढूंढते हो?' तो इसका स्पष्ट जवाब अधिकारी, कर्मचारी नहीं दे सके। एक गत्ते में इस्तेमाल किया हुआ मास्क दवाओं के बीच मिला तो उप मुख्यमंत्री खासे नाराज हुए। उन्होंने कहा कि 'आप क्या जान से खेल रहे हो।' प्लास्टिक का एप्रेन पोछने के लिए रखा मिलने पर भी उन्होंने फटकार लगाई। उन्होंने बदहाली पर कहा कि 'ऐसे दवाएं रखते हैं, ऐसे फेंकोगे, देखो कितनी धूल है, भगवान मालिक है।' उन्होंने कहा कि 'ये दवाई हैं तो खुली क्यों फेंकी गई हैं?'
बदहाली में पड़ीं थीं कूल एंड ड्राई प्लेस वाली दवाएं
गोदाम में कूड एंड ड्राई प्लेस में रखे जाने के निर्देश वाली दवाएं भी सामान्य ढंग से पड़ी मिलीं। उप मुख्यमंत्री ने पूछा 'ऐसा क्यों है? इन्हें उचित तापमान में क्यों नहीं रखा गया? क्या ये निर्देश सिर्फ जनता के लिए हैं? गोदाम में रखने के लिए नहीं?' यहां इंजेक्शन ठंडा करने वाला कूलेंट बेकार पड़ा मिला। वह गोदाम में घूम-घूमकर दवाओं के बंडल चेक करते रहे। साथ में चल रहे अधिकारियों से चेक कराकर पूछते रहे कि 'ये कितने की दवा है? कब एक्सपायर हो रही है?' कुछ दवाएं इस्तेमाल न होने वाली मिलीं तो उन्होंने पूछा कि 'जिसका यूज नहीं, उसे वापस क्यों नहीं किया?' उन्होंने गोदाम में बने कोल्ड रूम को भी देखा। वहां रखी दवाओं को चेक किया। पूछा कि 'यहां कितना टेंपरेचर होना चाहिए? कैसे चेक करते हो?'
ये दवाएं लोगों को मारने के लिए रखे हो क्या?
निरीक्षण में कई दवाएं ऐसी मिलीं जो दिसंबर 2021 में एक्सपायर हो चुकी थीं। दवाएं देखकर नाराज उप मुख्यमंत्री ने फटकार लगाते हुए पूछा कि 'ये दवाएं लोगों को मारने के लिए रखे हो क्या? हम जनता को जिंदा रखने के लिए दवाएं देते हैं और यहां ये हाल है।' निरीक्षण में कई ऐसी दवाएं ऐसी मिलीं जो एक, दो महीने में एक्सपायर होने वाली थीं। यहां खुद को एक निजी कंपनी का कर्मचारी बता रहे लोग भी उप मुख्यमंत्री को मिले, उनसे भी उन्होंने पूछताछ की। उन्होंने पूछा कि क्या दवा कंपनी वाले आते हैं?
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