उत्तर प्रदेश

इलाज के दौरान मासूम की हुई मौत मुरादाबाद में प्राइवेट अस्पताल की लापरवाही उजागर

Apurva Srivastav
28 May 2022 5:40 PM GMT
इलाज के दौरान मासूम की हुई मौत मुरादाबाद में प्राइवेट अस्पताल की लापरवाही उजागर
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उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद (Moradabad) में एक प्राइवेट अस्पताल की लापरवाही का मामला सामने आया है. यहां एक मासूम की उपचार के दौरान मौत हो गई है. अस्पताल प्रशासन व हॉस्पिटल स्टाफ पर मृत मासूम के परिवार वालों ने लापरवाही का आरोप लगाया है. बच्चे की मौत हो जाने के बाद भी लगातार डॉक्टर द्वारा पैसे मांगे जा रहे थे. लेकिन मासूम को देखने के लिए परिजनों ने मांग की तो स्वास्थ्य कर्मी ने उन्हें भगा दिया. जिसपर आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया. हंगामा होने की सूचना मिलते ही भारी पुलिस बल मौके पर पहुंचा. वहीं, कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस की सूझबूझ से मामला शांत हो सका. पुलिस ने पीड़ित परिवार से शिकायत लेकर कार्रवाई का आश्वासन दिलाया है.

मामला मझोला थाना क्षेत्र का है. यहां स्थित प्राइवेट GLEE अस्पताल में मासूम को भर्ती कराया गया था. इलाज के दौरान ही उसकी हालत बिगड़ने लगी. आरोप है कि डॉक्टर लगातार अस्पताल के चार्ज भरवाते रहे, लेकिन मासूम की पहले ही मौत हो चुकी थी. मासूम के परिजनों को मिलने तक नहीं दिया. जिसके बाद परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया. सूचना पर पहुंची पुलिस ने मामले को काबू में लिया. पुलिस ने पीड़ित परिवार से शिकायत लेकर कार्रवाई का आश्वासन दिलाया है.
झोलाछापों के दो अस्पताल सील
बता दें, बीती 27 मई को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मूंढापांडे इलाके में झोलाछापों पर सख्त कार्रवाई की. संचालित किए जा रहे दो अस्पतालों को सील कर दिया. अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ.अजय कुमार शर्मा के नेतृत्व में वहां पहुंची विभाग की टीम ने यह कार्रवाई की. रहमत अस्पताल और न्यूजीवनदान अस्पताल को सील कर दिया गया. इन अस्पतालों पर चिकित्सा की डिग्री व पंजीकरण के कोई कागजात नहीं मिले. संबंधित थाने में उनके खिलाफ एफआईआर भी करा दी गई
केवल शिकायत पर बढ़ते हैं कदम
स्वास्थ्य विभाग में 425 क्लीनिक और नर्सिंग होम का ही पंजीयन है, लेकिन जिले में एक हजार से अधिक नर्सिंग होम व क्लीनिक का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है. चिकित्साधिकारियों के संज्ञान में शहर से लेकर देहात तक के झोलाछापों की करतूत होने के बाद भी वह बिना शिकायत के कदम आगे नहीं बढ़ाते. शिकायत से पहले चिकित्साधिकारियों की जानकारी में होने के बाद भी उन्हें जन स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने की छूट मिली रहती है. इससे विभाग की लापरवाह और गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली की पोल खुद खुलती है. सवाल यह है कि जब तक ऐसे झोलाछापों के हाथों किसी की जान न चली जाए या कोई शिकायत न मिले इनकी आंखें क्यों बंद रहती है.



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