उत्तर प्रदेश

रोडवेज यात्रियों पर महंगाई की मार, जेब कटेगी सलीखे से

Admin Delhi 1
7 Feb 2023 11:00 AM GMT
रोडवेज यात्रियों पर महंगाई की मार, जेब कटेगी सलीखे से
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मेरठ: राज्य परिवहन प्राधिकरण के रोडवेज बसों के किराये संबंधी प्रस्ताव पर मुहर लगने के एक सप्ताह के भीतर ही इसे लागू करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। परिवहन निगम की तरफ से 25 पैसे प्रति किमी साधारण बसों का किराया छह फरवरी मध्य रात्रि से लागू हो गया है। अभी तक उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की साधारण बसों का किराया एक रुपया पांच पैसे प्रति किमी की दर से लिया जा रहा है। इस वृद्धि के बाद प्रति किमी एक रुपया 30 पैसे किराया हो गया है। आरएम केके शर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की साधारण मंजिली बसों का किराया 25 पैसे प्रति यात्री प्रति किलो मीटर की वृद्धि करते हुए 1.30 प्रति यात्री प्रति किलो मीटर किए जाने की अधिसूचना जारी की गई है।

उन्होंने बताया कि पूर्व में निगम की बसों में किराये की वृद्धि एक जनवरी 2020 को हुई थी। उस समय डीजल का मूल्य लगभग 63.50 प्रति लीटर था, जो वर्तमान में लगभग 90 रुपये प्रति लीटर हो गया है। डीजल के मूल्यों में वृद्धि के कारण निगम ने निरंतर घाटे से उबरने के लिए किराया बढ़ाये जाने का प्रस्ताव तैयार किया है।

बस स्टेशन पर कराया जाएगा एनाउंसमेंट: प्रबंध निदेशक संजय कुमार ने सभी क्षेत्रीय अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि प्रत्येक बस स्टेशन पर किराये में बढ़ोत्तरी का एनाउन्समेंट कराकर यात्रियों को अवगत कराया जाए। ताकि किसी भी प्रकार के भ्रम की स्थिति यात्रा के दौरान उत्पन्न न हो सके। साथ ही आगामी 48 घंटे में नवीन किराया सूचियां प्रत्येक बस स्टेशनों पर प्रदर्शित किया जाना सुनिश्चित किया जाए। जिसकी मॉनीटरिंग के लिए नोडल अधिकारियों को सम्बन्धित क्षेत्रीय प्रबन्धक एवं सहायक क्षेत्रीय प्रबन्धक से निरन्तर सम्पर्क में रहकर उक्त कार्यवाही सुनिश्चित कराने के निर्देश भी दिए गए।

एसी बसों के किराये की नई दरें: किराया वृद्धि का असर निगम की वातानुकूलित बसों के किराये में भी पड़ने वाला है। जनरथ बस 3 बाई 2 का किराया 163. 86 पैसे, जनरथ बस 2 बाई 2 का किराया 193.76 पैसे, वातानुकूलित स्लीपर बस का किराया 258.78 पैसे एवं वाल्वो बसों का किराया 286.14 पैसे प्रति यात्री प्रति किलो मीटर हो गया है। निगम का दावा है कि किराये में की गई उक्त बढ़ोत्तरी के उपरान्त भी उत्तर प्रदेश परिवहन निगम का किराया उत्तराखंड, महाराष्ट्र एवं हिमाचल राज्य से कम ही है।

10 साल में दोगुने से कुछ कम हुई किराये में बढ़ोत्तरी: बीते 10 साल में रोडवेज के किराये में की गई वृद्धि पर नजर डाली जाए, तो इस बीच यात्रियों की जेब पर 64 पैसे प्रति किमी का बोझ पड़ चुका है। साल 2012 में चार पैसा प्रति किमी प्रति यात्री किराया बढ़ा था। इसी प्रकार 2013 में भी चार पैसा, 2014 में पांच पैसा, 2016 में सात पैसा, 2017 में नौ पैसा और 2020 में दस पैसा अब 2023 में 25 पैसा प्रति यात्री प्रति किमी किराया बढ़ाया जा रहा है।

बजट के बाद सोने और चांदी के आभूषण भी हुए महंगे: उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसों के किराये में 24 प्रतिशत की एक साथ की गई वृद्धि ही यात्रियों को भारी नहीं पड़ रही है, बल्कि अपनी जमा पूंजी से सोना-चांदी खरीदकर इनवेस्ट करने वालों को भी बजट के बाद से महंगाई का झटका लगा है। सराफा व्यापार से जुड़े संदीप अग्रवाल और संत कुमार वर्मा बताते हैं कि बजट से पहले सोने का भाव 58 हजार रुपये प्रति दस ग्राम रहा है, लेकिन बजट आने के दिन ही इसमें एक हजार की तेजी आई, और भाव बढ़कर 59 हजार रुपये हो गया। इसी प्रकार चांदी के भाव में दो हजार रुपये प्रति किग्रा की वृद्धि दर्ज की गई। 31 जनवरी तक जो चांदी 68 हजार रुपये किग्रा थी, बजट के साथ ही इसके रेट 70 हजार रुपये हो गए। सराफा कारोबारी बताते हैं कि एकदम से आई इस तेजी का असर कारोबार पर भी पड़ा है। जो लोग इनवेस्ट करने की मंशा से सोना-चांदी खरीदने का मन बना रहे थे, वे अब भाव में ठहराव का इंतजार कर रहे हैं।

महानगर बस सेवा के किराये पर नहीं होगा कोई असर: एमसीटीसीएल के प्रभारी एमडी आरएम मेरठ केके शर्मा ने स्पष्ट किया कि निगम की बसों में 25 पैसे किमी की वृद्धि का महानगर बस सेवा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उनका किराया पूर्ववत रहेगा। उन्होंने बताया कि निगम का किराया प्रति किमी की दर से लिया जाता है। जबकि महानगर बस सेवा का किराया जीरो से तीन, छह, नौ आदि किमी दूरी के स्लैब से तय किया जाता है।

2024 तक पांच हजार बसें खरीदकर बेड़े में शामिल करेगा निगम: आरएम केके शर्मा ने बताया कि किराया बढ़ने के फलस्वरूप प्राप्त होने वाली धनराशि से निगम अपनी संचालन लागत को वहन करने के साथ-साथ 31 दिसम्बर 2023 तक स्वयं के संसाधनों से लगभग 3000 बीएस-06 मॉडल की नई बसें और वर्ष 2024 में 2000 नई बसें खरीदकर निगम बस बेड़े में सम्मिलित कर सकेगा। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में निगम के बस बेड़े की औसत आयु लगभग 7.62 वर्ष है, जिसे पांच वर्ष से कम करने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही निगम की कार्यशालाओं को भी नई तकनीक की बसों के रख-रखाव के लिए अपग्रेड करने, कार्यशालाओं की स्थिति में भी सुधार करने एवं नई तकनीक की बसों के रख-रखाव के लिए टूल एवं प्लांट स्थापित कराए जा सकेंगे।

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