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मथुरा न्यूज़: यदि समय रहते आपने डायबिटीज, बीपी एवं अन्य बीमारियों पर कंट्रोल नहीं किया या लापरवाही बरती तो आप किडनी की समस्या से ग्रसित हो सकते हैं. अनदेखी से किडनी खराब हो सकती हैं. मथुरा में किडनी रोगी बढ़ रहे हैं, जोकि भविष्य के लिए ठीक नही है.
यदि आपके पैरों में सूजन, यूरिन कम आ रहा है या झाग आने की समस्या, वजन कम हो रहा, भूख कम लग रही या खाने की खूशबू से उल्टी की समस्या, हीमोग्लोबिन घट रहा आदि समस्या हैं तो किडनी समस्या हो सकती है. इन लक्षणों की अनदेखी या चिकित्सकी परामर्श न लेने के अलावा इधर-उधर से दवा लेकर यह समस्या बढ़ जाती है और आपको डाक्टरों के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं. मथुरा में देखने को मिला है कि यहां बिगड़े केस नेफ्रोलॉजिस्ट के पास पहुंच रहे हैं. फिजीशियन डा. भरत गुप्ता का कहना है कि यह बीमारी भी बढ़ रही है.
के अनुसार स्वस्थ गुर्दे रक्त से क्रिएटिनिन को फिल्टर करते हैं. क्रिएटिनिन आपके शरीर से मूत्र के जरिए बाहर निकल जाता है. आपके रक्त या मूत्र में क्रिएटिनिन का लेवल बताता है कि आपकी किडनी सही से काम कर रही है या नहीं. जांच में क्रिएटिनिन बढ़ा देखने को मिल रहा है. ऐसे लोगों को सलाह दी जा रही है कि वह अच्छे नेफ्रोलॉजिस्ट से संपर्क करें.
यह है थीम सभी के लिए किडनी स्वास्थ्य-अप्रत्याशित के लिए तैयारी, कमजोरों का समर्थन. जो किडनी की बीमारी का जल्द पता लगाने, प्रभावी प्रबंधन और देखभाल के महत्व पर जोर देता है.
किडनी में स्टोन होना भी नहीं ठीक
यूरोलॉजिस्ट संजय अग्रवाल एवं डा.रोहित सिंघल के अनुसार किडनी में स्टोन होना भी ठीक नहीं है. यदि किडनी में स्टोन हैं तो यह भविष्य में परेशानी पैदा कर सकते हैं. यानि किडनी को खराब कर सकते हैं. समय रहते स्टोन का उपचार जरूरी है.
जनपद में किडनी समस्या के रोगी बढ़ रहे हैं. अधिकतर मरीज तो उपचार में लापरवाही बरतते हैं और देरी से चिकित्सक के पास पहुंचते हैं. समय रहते मरीज डाक्टर के पास आ जाए तो इस बीमारी पर कंट्रोल या ठीक किया जा सकता है. ओपीडी में बिगड़े केस आते हैं. खून, यूरिन, अल्टासाउंड जांच से बीमारी का पता लग जाता है.
डा. आशीष शर्मा, नेफ्रोलॉजिस्ट (किडनी रोग विशेषज्ञ)
यदि आपका क्रिएटिनिन लेवल जरूरत से ज्यादा है तो आप इसे चिकित्सकीय परामर्श-लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव के साथ कंट्रोल कर सकते हैं. इन बदलावों में प्रोटीन का कम सेवन, खाने में फाइबर की अधिकता, नमक का कम उपयोग, शराब-धूम्रपान से परहेज, ज्यादा पानी पीना आदि शामिल हैं. परेशानी बढ़ने पर मरीज को डायलिसिस करानी पड़ती है.
-डा. गौरव भारद्वाज, चेयरमैन सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेस
वर्तमान में लोगों को बीमारियों के प्रति जागरूक करना जरूरी हो गया है. सभी को अब जागरूक रहने की जरूरत है. लोग बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. अच्छा खानपान एवं चेकअप जरूरी हैं. बीपी-शुगर कंट्रोल के अलावा दर्द की दवा से बचें. चिकित्सकीय परामर्श पर ही दवा लें. वजन अधिक न हो. पानी अधिक पीएं. व्यायाम,योगा जरूरी है.
-डा. आशीष गोपाल, फिजीशियन,पूर्व सचिव आईएमए