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मोबाइल-कंप्यूटर स्क्रीन से मायोपिया का बढ़ा खतरा
बरेली न्यूज़: आंख की बीमारी मायोपिया अब बच्चों को भी चपेट में ले रही है. इसकी बड़ी वजह है मोबाइल और कंप्यूटर की स्क्रीन पर अधिक समय तक वक्त बिताना. मायोपिया की स्थिति गंभीर होने पर मोतियाबिंद और ग्लूकोमा जैसी बीमारी भी हो सकती है. इसके प्रति जागरूक करने के लिए हर वर्ष मार्च माह में ग्लूकोमा सप्ताह मनाया जाता है.
300 बेड अस्पताल में चल रही नेत्ररोग ओपीडी में करीब 15 प्रतिशत मरीजों की उम्र 15 साल से कम है. इससे आशंका है कि बच्चों की आंखो पर लाइफ स्टाइल के चलते असर पड़ रहा है. मायोपिया पहले आमतौर पर 20 से 40 वर्ष के लोगों में अधिक देखने को मिलता था. शुरुआत में इसके लक्षण नहीं दिखते हैं. बीमारी जब गंभीर होने लगती है, तब इसके लक्षण पकड़ में आते हैं. लेकिन बच्चों में यह बीमारी तेजी से फैलती है. युवाओं में इसकी बड़ी वजह स्टेरॉयड का अधिक इस्तेमाल है. सरकार की तरफ से राष्ट्रीय अंधता निवारण कार्यक्रम के तहत बच्चों और बुजुर्गों के आंख की जांच की जाती है. इस साल 4474 बच्चों की आंख जांच करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था और 4017 बच्चों की जांच हो चुकी है.
आंख का व्यायाम खतरे को कर सकता है कम: वरिष्ठ नेत्ररोग विशेषज्ञ डा. एके गौतम ने बताया कि मायोपिया बीमारी को शुरुआत में पहचान पाना मुश्किल है. आंख के व्यायाम से इसके खतरे को कम किया जा सकता है. साथ ही मोबाइल, कंप्यूटर स्क्रीन पर अधिक देर तक लगातार काम नहीं करना चाहिए.