उत्तर प्रदेश

यूपी में अब फर्जी डिग्रियों के बहाने नौकरी पाने वालों की खैर नहीं, यूनीक आईडी से ट्रैक होगी पढ़ाई

Renuka Sahu
3 Aug 2022 1:47 AM GMT
In UP, now those who get jobs on the pretext of fake degrees are not well, studies will be tracked with unique ID
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फाइल फोटो 

अब फर्जी डिग्रियों या अंकपत्र के बहाने नौकरी पाने वालों की खैर नहीं। विद्यार्थियों की पढ़ाई-लिखाई का ब्यौरा रखने के लिए राज्य सरकार यूनिवर्सल लर्नर पासपोर्ट की व्यवस्था करने जा रही है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अब फर्जी डिग्रियों या अंकपत्र के बहाने नौकरी पाने वालों की खैर नहीं। विद्यार्थियों की पढ़ाई-लिखाई का ब्यौरा रखने के लिए राज्य सरकार यूनिवर्सल लर्नर पासपोर्ट की व्यवस्था करने जा रही है। इस पासपोर्ट में न सिर्फ उसके सीखने का पूरा सफर दर्ज किया जाएगा बल्कि इसके 'डिजिटल तिजोरी' में सभी प्रमाणपत्र व अंकपत्र संस्थान स्तर से अपलोड होंगे। इससे नौकरी के आवेदन के समय युवा फर्जी अंकपत्र या प्रमाणपत्र नहीं लगा सकेंगे क्योंकि उनका सत्यापन इसी तिजोरी से होगा।

राज्य सरकार इसके लिए प्रस्ताव मांगने जा रही है। यूपी इसे शुरू करने वाला पहला राज्य होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विद्यार्थियों की ट्रैकिंग का नियम है। प्रदेश में इस योजना को चरणबद्ध ढंग से लागू किया जाएगा। इसकी शुरुआत कक्षा एक से आठ तक होगी लेकिन भविष्य में इसे प्ले ग्रुप से लेकर परास्नातक और प्रोफेशनल पढ़ाई में भी लागू किया जाएगा। इसका कांसेप्ट नोट, नियम व शर्ते समेत अन्य आधारभूत तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। तकनीकी साझेदारी के लिए जल्द ही प्रस्ताव मांगा जाएगा। यूपी में निजी, सरकारी, व्यावसायिक स्तर पर पढ़ाई करने वाले पांच करोड़ विद्यार्थी हैं।
क्या होगा फायदा
इससे फर्जी प्रमाणपत्रों के सहारे नौकरी पाने वालों पर भी लगाम लगेगी क्योंकि यह लागू होने के बाद प्रमाणपत्रों का सत्यापन डिजिटल तिजोरी से ही होगा। सत्यापन के लिए अंकपत्र या प्रमाणपत्र विभिन्न बोर्डों या फिर विश्वविद्यालयों को नहीं भेजे जाएंगे। अभी सबसे ज्यादा खेल सत्यापन में होता है और बाबुओं की सांठगांठ से सत्यापन का मामला अटकाए रखा जाता है। लर्नर पासपोर्ट से एक बच्चे का नामांकन दो जगह नहीं हो सकेगा। इससे नामांकन के फजीवाड़े पर भी नकेल कसेगी। एक ही वक्त में दो डिग्रियां हासिल करने पर भी लगाम लगेगी। स्कॉलरशिप आदि के लिए फजीवाड़ा नहीं हो सकेगा क्योंकि फर्जी अंकपत्र, जाति या आय प्रमाणपत्र नहीं लगाया जा सकेगा। भविष्य में यूनीक आईडी से ही पात्र विद्यार्थियों को चयनित करके स्कॉलरशिप देने पर भी काम हो सकता है। इस पासपोर्ट से एक बच्चे की पढ़ाई से लेकर नौकरी तक ट्रैक की जा सकेगी और आउट ऑफ स्कूल बच्चों को पढ़ाई की मुख्यधारा में लाने में मदद मिलेगी।
कैसे काम करेगा लर्नर पासपोर्ट
कक्षा एक में प्रवेश लेने पर एक आधार सीडिंग के बाद उसे एक यूनीक आईडी मिलेगी और डिजिटल तिजोरी (वॉल्ट) खोली जाएगी। इसमें उसके सभी कक्षाओं के अंकपत्र, प्रमाणपत्र और अन्य सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों के प्रमाणपत्र भी संस्थान स्तर पर डाले जाएंगे। जब वह अपनी पढ़ाई पूरी करेगा उसके पासपोर्ट पर इसकी पूरी जानकारी होगी। इससे शिक्षकों और अभिभावकों को भी बच्चे की प्रगति देखने में मदद मिलेगी। किसी भी स्तर पर सत्यापन के लिए इसी डिजिटल पासपोर्ट के वॉल्ट से जानकारियां ली जाएंगी। इसमें सरकारी, निजी, व्यावसायिक सेक्टर सब आएंगे। यह लागू होने के बाद उसे अपने प्रमाणपत्रों या अंकपत्रों की फाइल की जगह केवल लर्निंग पासपोर्ट दिखाना होगा। डिजिलॉकर की तरह डिजिटल वॉल्ट भी पूरी तरह सुरक्षित होगा।
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