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अन्य केस में गिरफ्तारी पर भी हो सकती है अग्रिम बेल की मांग
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ एक ही प्रकृति के अन्य मुकदमे दर्ज हैं और उनमें उसकी गिरफ्तारी भी हुई है, तब भी वह दूसरे मुकदमे में अग्रिम जमानत की मांग करने का अधिकारी है.
यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्राचार्य डॉ. रजनी त्रिपाठी की अग्रिम जमानत अर्जी स्वीकार करते हुए दिया है. डॉ. रजनी त्रिपाठी के खिलाफ प्रयागराज के सिविल लाइंस थाने में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज है, जिसमें उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. डॉ. रजनी त्रिपाठी पर आरोप है कि उन्होंने फरवरी 2009 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देश पर हिंदी और अर्थशास्त्रत्त् का सेमिनार विद्यापीठ में कराया. मधु टंडन सेमिनार की कोऑर्डिनेटर थीं और डॉ रजनी त्रिपाठी इसकी डायरेक्टर. आरोप है कि मधु टंडन ने सेमिनार के लिए 12000 रुपये का सोवेनियर छपवाया लेकिन इसकी धनराशि का भुगतान नहीं किया. आरोप है कि यूजीसी ने सेमिनार के लिए जो 90 हजार रुपये दिए थे, उसे उन्होंने उसी बैंक में जिसमें कॉलेज का खाता है, अलग खाता खुलवाकर जमा किया. धनराशि का दुरुपयोग किया. सिविल लाइंस थाने में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया गया. डॉ रजनी त्रिपाठी के अधिवक्ता का कहना था कि उनकी आयु 61 वर्ष है. उन्हेें झूठा फंसाया गया है. मुकदमे में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है. अदालत उसका संज्ञान भी ले चुकी है. ऐसे में उनकी गिरफ्तारी की आवश्यकता नहीं है. राज्य सरकार और कॉलेज प्रबंधन समिति के अधिवक्ताओं का कहना था कि याची को इसी प्रकार के मामले में पहले से हिरासत में लिया गया है. अग्रिम जमानत पोषणीय नहीं है. कोर्ट ने कहा कि अग्रिम जमानत के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है.
जमानत राशि घटाई: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत मंजूर होने के बाद भी दो साल से जेल में बंद एक व्यक्ति की जमानत की शर्तों में छूट प्रदान करते हुए उसे रिहा करने का आदेश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने आफताब की ओर से दाखिल जमानत आदेश के संशोधन की अर्जी पर सुनवाई के बाद दिया है. याची फतेहपुर के हुुसैनगंज थाने में गोहत्या के आरोप में एफआईआर दर्ज हुई थी. पुलिस ने उसे 2021 में जेल भेज दिया था.