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उत्तर प्रदेश
एक साल में पास की सब इंस्पेक्टर की परीक्षा, हिला हेल्प डेस्क पर तैनात थी शिवानी और दीप्ति
Admin4
12 Jun 2022 12:40 PM GMT
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एक साल में पास की सब इंस्पेक्टर की परीक्षा, हिला हेल्प डेस्क पर तैनात थी शिवानी और दीप्ति
आगरा के जीआरपी थाने की महिला हेल्प डेस्क पर तैनात दो महिला कांस्टेबल शिवानी और दीप्ति ने सब इंस्पेक्टर की परीक्षा पास कर ली है। दोनों सहेलियों ने एक साथ पढ़ाई की और एक साथ ही सफलता हासिल की है। दीप्ति और शिवानी का कहना है कि नौकरी के साथ पढ़ाई करना थोड़ा मुश्किल था, मगर जब आप अपना लक्ष्य तय कर लेते हैं तो फिर हर मुश्किल भी आसान लगने लगती है।
एक साल में कांस्टेबल से बनी एसआई
आगरा कैंट जीआरपी थाने में महिला हेल्प डेस्क पर तैनात कांस्टेबल दीप्ति और शिवानी ने उत्तर प्रदेश पुलिस की सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा दी थी। रविवार को परिणाम घोषित हुआ तो दोनों के चेहरे पर खुशी आ गई। दोनों सहेलियों ने सब इंस्पेक्टर की परीक्षा पास कर ली। दीप्ति और शिवानी साल 2020 में कांस्टेबल के पद पर पुलिस में भर्ती हुई थीं। दोनों ने एक साथ ट्रेनिंग की और आगरा में एक साथ ही पोस्टिंग मिली। पिछले महीने ही उनको नौकरी का एक साल पूरा हुआ है। एक साल में ही वो अपनी मेहनत के बल पर कांस्टेबल से एसआई बन गई हैं।
यूट्यूब से लेती थी क्लास
जीआरपी हेल्प डेस्क पर तैनात शिवानी मूल रूप से मुरादाबाद के कटघर की रहने वाली हैं। शिवानी ने बताया कि वो हमेशा अपने साथ किताब रखती थीं। जब भी समय मिला, किताब पढ़ती थी। ड्यूटी के बाद घर पर नियमित रूप से दो से तीन घंटा पढ़ाई करती थीं। पढ़ाई के लिए यूट्यूब की मदद लेती थीं। कोई परेशानी होती थी तो अपनी साथी दीप्ति के साथ उसे सॉल्व करती थीं। शिवानी ने बताया कि उनके घर में मां, भाई और पांच बहनें हैं। पुलिस विभाग में अपने घर से वो पहली महिला हैं।
समय मिलते ही पढ़ाई में जुट जाती थी दीप्ति
दीप्ति ने बताया कि वो मूलरूप से औरेया के अजीतमल थाना क्षेत्र की रहने वाली हैं। उनके परिवार में माता-पिता के अलावा दो भाई और तीन बहनें हैं। दीप्ति का कहना है कि जब वो कांस्टेबल पद पर भर्ती हुई और नौकरी में आई तो उन्हें लगा कि आगे बढ़ना चाहिए। तभी एसआई की भर्तियां निकल आईं। उनके साथ उनके छोटे भाई वैभव ने भी फॉर्म भर दिया। दीप्ति ने बताया कि नौकरी और पढ़ाई दोनों में सामंजस्य बनाया। हेल्प डेस्क पर होने के चलते बहुत ज्यादा फील्ड का काम नहीं था। ऐसे में जब भी समय मिलता वो पढ़ाई करती थीं। इसके अलावा ड्यूटी के बाद दो से तीन घंटा घर पर पढ़ती थीं।
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