उत्तर प्रदेश

गाजियाबाद में 3808 बच्चे सुपोषित हुए, 176 किशोरी और महिलाएं भी एनीमिया मुक्त हुईं

Shantanu Roy
17 Dec 2022 10:15 AM GMT
गाजियाबाद में 3808 बच्चे सुपोषित हुए, 176 किशोरी और महिलाएं भी एनीमिया मुक्त हुईं
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गाजियाबाद। बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार (आईसीडीएस) विभाग छह वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती और धात्री (स्तनपान कराने वाली) माताओं में सामुदायिक स्तर पर स्वास्थ्य प्रबंधन करता है। पुष्टाहार उपलब्ध कराने के अलावा विभाग द्वारा पोषण एवं स्वास्थ्य परामर्श, टीकाकरण, स्कूल – पाठशाला पूर्व शिक्षा, स्वास्थ्य जांच और संदर्भन सेवाएं भी उपलब्ध कराई जाती हैं। आईसीडीएस की ताजा रिपोर्ट बताती है कि स्वास्थ्य जांच के जरिए विभाग ने जनपद में मध्यम गंभीर कुपोषित (मैम) और गंभीर तीव्र अतिकुपोषित (सैम) श्रेणी में कुल 5039 बच्चे चिन्हित कर, सामुदायिक स्तर पर स्वास्थ्य प्रबंधन किया। नतीजा यह हुआ कि चिन्हित बच्चों में 3808 बच्चे सुपोषित हो गए। जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) शशि वार्ष्णेय ने बताया - यह नियमित प्रक्रिया है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आधुनिक उपकरणों की मदद से बच्चे की लंबाई और वजन मापती हैं और जिन बच्चों की लंबाई या वजन तय मानक से कम पाया जाता है उसका सामुदायिक स्तर पर स्वास्थ्य प्रबंधन किया जाता है।
गंभीर स्थिति होने पर बच्चे को पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) पर भर्ती कराने की भी सुविधा है। उन्होंने बताया - नवंबर माह की रिपोर्ट के मुताबिक जिले में 304 एनीमिया से ग्रसित किशोरी और महिलाएं चिन्हित की गई थीं, स्वास्थ्य प्रबंधन के बाद 176 किशोरी और महिलाएं एनीमिया से मुक्त हो गईं, बाकी 128 का स्वास्थ्य प्रबंधन किया जा रहा है। पुष्टाहार के साथ उन्हें चिकित्सकीय परामर्श भी उपलब्ध कराया जा रहा है। डीपीओ ने बताया - स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए नवंबर माह के दौरान एएनएम, आशा, और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने 5775 के घर पर भ्रमण किया। सबसे ज्यादा 3361 घरों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पहुंचीं। पुष्टाहार उपलब्ध कराने के साथ ही उनके माता- पिता की काउंसलिंग की। खासकर मां को बच्चे की खानपान में रुचि बढ़ाने के तरीके भी बताए गए और पोषण के बारे में जानकारी दी गई। डीपीओ ने जनपद वासियों से अपील की है कि बच्चे के लिए जरूरी पोषण की जानकारी के लिए अपने नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्र पर जाएं। वहां होने वाली गतिविधियों में प्रतिभाग करें। बच्चों के स्वास्थ्य का ख्याल रखें और जागरूक नागरिक बनें। कोई मां यदि शिशु को अपना दूध नहीं पिला पा रही है तो इस समस्या के समाधान के लिए भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से संपर्क कर सकती है।
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