उत्तर प्रदेश

जिला जज की अदालत में अहम सुनवाई आज, अंजुमन की ओर से बहस पूरी, हिंदू पक्ष ने रखीं दलीलें

Renuka Sahu
13 July 2022 2:37 AM GMT
Important hearing in District Judges court today, Anjumans argument completed, Hindu side argued
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फाइल फोटो 

ज्ञानवापी परिसर में स्थित शृंगार गौरी के नियमित दर्शन व अन्य विग्रहों के संरक्षण की याचिका पर जिला जज की अदालत में मंगलवार को मुस्लिम पक्ष की बहस पूरी हो गई।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ज्ञानवापी परिसर में स्थित शृंगार गौरी के नियमित दर्शन व अन्य विग्रहों के संरक्षण की याचिका पर जिला जज की अदालत में मंगलवार को मुस्लिम पक्ष की बहस पूरी हो गई। इसके बाद हिंदू पक्ष ने अपनी दलीलें शुरू कीं। करीब सवा दो घंटे की अदालती कार्यवाही के बाद जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने सुनवाई के लिए 13 जुलाई की तिथि निर्धारित की है। इस मामले में दलीलें व बहस पूरी होने के बाद जिला जज की अदालत में यह तय होगा कि यह याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला जज की अदालत में जारी सुनवाई में मंगलवार को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ अधिवक्ता अभयनाथ यादव ने ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत दिए गए आवेदन पर अपनी बहस पूरी की। मुस्लिम पक्ष ने याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं के अलावा पूरे वाद पत्र के बिंदुओं पर भी अपनी दलील न्यायालय में रखी। उनकी ओर से कहा गया है कि जिस जमीन पर ज्ञानवापी मस्जिद स्थापित है, उसकी आराजी 9130 का चौहद्दी व रकबा वाद पत्र में निर्धारित नहीं है। इसमें यह भी नहीं बताया गया कि इसका मालिक कौन है। दलील के दौरान मुस्लिम पक्ष ने कहा कि वाद पत्र को मौलिक अधिकार के तहत हाईकोर्ट में दाखिल किया जाना चाहिए। कारण, वाद में कहा गया है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बना है, ऐसे में मुकदमा बेदखली का होना चाहिए। अंत में मुस्लिम पक्ष ने कहा कि श्रृंगार गौरी के फोटो की नहीं बल्कि मूर्ति की पूजा होनी चाहिए।
अंजुमन ने कहा कि पूरी प्रॉपर्टी वक्फ बोर्ड की है। ऐसे में इस अदालत को सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है, बल्कि लखनऊ स्थित वक्फ बोर्ड को सुनवाई का अधिकार है। इस दौरान हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट की नजीरों का हवाला देते हुए अदालत में यह भी कहा कि यह मुकदमा चलने योग्य नहीं है। अंजुमन इंतजामिया की तरफ से अभय नाथ यादव, रईस अहमद, मुमताज अहमद, एखलाक अहमद, मेराजुद्दीन और हिंदू पक्ष की तरफ से विष्णुशंकर जैन, शिवम गौड़, मान बहादुर सिंह, सुधीर त्रिपाठी, सुभाष नंदन चतुर्वेदी, अनुपम द्विवेदी, हिमांशु व अनुष्का तिवारी, शासन की तरफ से डीजीसी सिविल महेंद्र प्रसाद पांडेय, मधुकर पांडेय, राणा संजीव सिंह, आशीष चौबे शामिल रहे।
मुस्लिम पक्ष ने प्रार्थना पत्र से की इतर बात : हिंदू पक्ष
अंजुमन इंतजामिया की बहस समाप्त होने के बाद हिंदू पक्ष के सुप्रीमकोर्ट के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने जवाबी बहस शुरू की। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष ने चार दिन तक बहस में प्रार्थनापत्र में कही गई बातों से इतर बहस की। उन्होंने कहा कि दीन मोहम्मद के केस में भी खसरा नंबर 9130 को स्वीकार किया गया है। काशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट में यह आराजी देवता को निहित की गई है। सीपीसी ऑर्डर 7 रूल 3 में संपत्ति का मालिकाना हक खसरा या चौहद्दी से निर्णित होता है और इस मामले में खसरा का जिक्र वाद में किया गया है। विशेष धर्म उपासना स्थल विधेयक 1991 इस वाद में लागू नहीं होता। आधे घंटे की बहस के बाद न्यायालय में समय पूरा होने के बाद अगली तिथि निर्धारित की गई। उधर, विष्णु शंकर जैन पर एक वादी की तरफ से उठाए गए आपत्ति पर विष्णु शंकर जैन ने कोर्ट में प्रदेश शासन का नो ऑब्जेक्शन पत्र सौंपा।
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