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मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में शोध प्रकाशन को लेकर अहम निर्णय लिया गया
झाँसी: मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में शोध प्रकाशन को लेकर अहम निर्णय लिया गया है. यदि कोई शोधार्थी शुरुआती तीन वर्षों में अपना शोध पत्र प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित नहीं करा पाता तो चौथे वर्ष उसकी फेलोशिप रोक दी जाएगी. शोधार्थियों के शोध पर फोकस और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए यह सख्ती बरती गई है.
एमएमएमयूटी प्रशासन ने रिसर्च फेलोशिप को लेकर दिशा-निर्देश जारी किया है. इसके अन्तर्गत तकनीकी विषयों के शोधार्थियों को पीएचडी में दाखिले के तीन साल के अंदर एससीआई ‘सांइस साइटेशन इंडेक्स’ की सूची में शामिल जर्नल में कम से कम एक शोध पत्र प्रकाशित कराना होगा. इसी तरह प्रबंधन के शोधार्थियों को एबीडीसी ‘आस्ट्रेलियन बिजनेस डींस काउंसिल’ के ए ग्रेड जर्नल में अपने शोध पत्र का प्रकाशन कराना होगा.
एबीडीसी ने अपने यहां सूचीबद्ध जर्नल को ए, बी व सी श्रेणी में विभाजित किया. है. ए श्रेणी में दुनिया के प्रतिष्ठित जर्नल्स शामिल हैं. विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक गुणवत्तापरक शोध न केवल समाजोपयोगी होगा बल्कि इससे विश्वविद्यालय को अपनी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग सुधारने में भी मदद मिलेगी.
फेलोशिप में हुई है 20 प्रतिशत की वृद्धि विश्वविद्यालय प्रशासन ने पिछले महीने ही शोधार्थियों के लिए फेलोशिप की राशि 20 प्रतिशत बढ़ाने का निर्णय लिया था. पहले सभी शोधार्थियों को विश्वविद्यालय अपने संसाधन से कुल 12,500 रुपये की फेलोशिप देता था. अब 15 हजार रुपये सभी शोधार्थियों को फेलोशिप के रूप में दिया जा रहा है.
शोध की गुणवत्ता पर हमारा फोकस है. इसके लिए ही फेलोशिप में 20 प्रतिशत की वृद्धि की गई है. शोधार्थियों को फेलोशिप जारी रखने के लिए तीन वर्षों में एक रिसर्च पेपर प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित कराना होगा. ऐसा नहीं हुआ तो वे अपना शोध कार्य तो जारी रख सकेंगे लेकिन चौथे साल फेलोशिप रोक दी जाएगी.
- प्रो. जेपी सैनी, कुलपति, एमएमएमयूटी