उत्तर प्रदेश

लिव इन रिलेशनशिप को लेकर इलाहाबाद HC की अहम टिप्पणी, जीवन का हिस्सा बताया

jantaserishta.com
29 Oct 2021 8:01 AM GMT
लिव इन रिलेशनशिप को लेकर इलाहाबाद HC की अहम टिप्पणी, जीवन का हिस्सा बताया
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प्रयागराज: एक याचिका पर सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप को लेकर अहम टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा, लिव इन रिलेशनशिप जीवन जीने का नजरिया व हिस्सा बन गया है. इसे व्यक्तिगत स्वायत्तता के रूप में देखने की जरूरत है न कि सामाजिक नैतिकता के पैमाने पर.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव‌ इन में रह रहे दो जोड़े की याचिका की सुनवाई करते हुए ये बात कही. दरअसल, कुशीनगर की शायरा खातून और मेरठ की जीनत परवीन ने अपने-अपने प्रेमी के साथ ये याचिकाएं दाखिल की थीं. दोनों मामलों में जोड़ों ने परिवार पर उनके जीवन के प्रतिदिन के क्रियाकलापों में हस्तक्षेप का आरोप लगाया है.
जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे रिश्तों को मान्यता भी दी है. कोर्ट ने कहा, संविधान में मिले जीवन के अधिकार और वैयक्तिक स्वतंत्रता की हर कीमत पर रक्षा की जानी चाहिए.
याचिका में दोनों ने आरोप लगाया है कि उन्होंने इस मामले में स्थानीय पुलिस का रुख किया. लेकिन उन्हें काफी कम मदद मिली. पुलिस ने उनकी जिंदगी पर खतरे के बावजूद उनके हाल पर छोड़ दिया. कोर्ट ने इस पर कहा, लिस अधिकारी याचिकाकर्ताओं के अधिकारों की रक्षा करने के लिए बाध्य हैं.
अदालत ने पुलिस को आदेश दिया कि अगर कोई याचिकाकर्ता अपने जीवन और स्वतंत्रता के लिए किसी भी तरह के खतरे की शिकायत करने के लिए उनसे संपर्क करता है तो "कानून के तहत उनसे अपेक्षा के अनुसार अपने कर्तव्यों का पालन करें.
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