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कानपूर न्यूज़: आईआईटी ने ड्रोन टेक्नोलॉजी का एक कोर्स तैयार किया है. जिसे सिर्फ आईआईटी नहीं बल्कि देश के विभिन्न तकनीकी संस्थान और स्किल डेवलपमेंट सेंटर में भी पढ़ाया जाएगा. यह कोर्स संस्थान के दो शिक्षकों ने मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रानिक्स एंड इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी के निर्देश पर तैयार किया है. मंत्रालय जल्द ही तकनीकी संस्थान व स्किल डेवलपमेंट सेंटर के साथ समझौता कर इस कोर्स को लागू करने की तैयारी में है, जिससे भविष्य में ड्रोन टेक्नोलॉजी के हर स्तर पर विशेषज्ञ व जानकार की आपूर्ति हो सके.
ड्रोन टेक्नोलॉजी को भविष्य की बड़ी जरूरत देखते हुए मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रानिक्स एंड इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी ने इसे हर स्तर पर छात्रों तक पहुंचाने की योजना बनाई है. इसी के तहत ड्रोन टेक्नोलॉजी का कोर्स तैयार करने की जिम्मेदारी आईआईटी के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के वैज्ञानिक प्रो. अभिषेक और प्रो. मंगल कोठारी को दी गई. दोनों ही वैज्ञानिकों ने दो साल का एक डिग्री प्रोग्राम भी तैयार किया है. जिसमें थ्योरी के साथ प्रैक्टिकल को बराबरी का स्थान दिया गया है. वैज्ञानिकों ने ड्रोन से जुड़ी नई विकसित की गई टेक्नोलॉजी को भी कोर्स में शामिल किया है.
मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रानिक्स एंड इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी के निर्देश पर ड्रोन टेक्नोलॉजी का कोर्स तैयार किया गया है. जिसे छात्रों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. इस कोर्स को एकेडमिक संस्थानों में लागू किया जाएगा.
- प्रो. अभिषेक, वैज्ञानिक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर
अब तक यहां बने ये करिश्माई ड्रोन
● अलख ड्रोन यह सिर्फ 225 ग्राम का है. जिसे सेना के लिए सर्विलांस को ध्यान में रखकर बनाया गया है.
● गौरैया ड्रोन यह ड्रोन भी सिर्फ 239 ग्राम का है. जिसे गौरैया की तरह बनाया गया है. जो पहाड़ी इलाकों के लिए काफी कारगर होगा.
● हॉक ड्रोन 300 ग्राम का ड्रोन, बिल्डिंग आपरेशन के लिए उपयुक्त. 25 मिनट तक उड़ने में सक्षम. दो किमी तक लाइव डिटेल दे सकता है.
● आटो पायलट आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस व साइबर सुरक्षा से लैस. क्रैश होने के बावजूद डाटा कंट्रोल रूम को भेज देता है.
● एग्रीकल्चर ड्रोन फसलों की निगरानी, दवा का छिड़काव करने में सक्षम. पौधों में प्रभावी छिड़काव, दवा की बर्बादी कम करता है.