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टाटमिल व रामादेवी चौराहे पर जरा सी कोशिश करें तो न लगेगा जाम
कानपूर न्यूज़: शहर के सबसे व्यस्त रामादेवी और टाटमिल चौराहे पर जाम की प्रमुख वजह सिस्टम की खामियां हैं. ई-रिक्शा, अतिक्रमण, सिग्नल की गड़बड़ी और ट्रैफिक सेंस इसका बड़ा कारण है. अगर यातायात सुधारना है तो जागरूकता और छोटी सी पहल की जरूरत है. इस पर अमल कर अनियंत्रित ट्रैफिक को काबू किया जा सकता है. सवाल यह है कि आखिरकार यह जिम्मेदारी है किसकी.
इन चौराहों का स्थलीय दौरा किया तो सारी तस्वीर सामने आ गई. जरूरत है कि जाम की स्थिति सुधारने के लिए वाहन सवार नियमों के प्रति जागरूक हों और इंटीग्रेटेड सिक्योरिटी सिस्टम, सिग्नल ठीक से काम करें. सड़क पर बसी सब्जी-फल मंडी के अलावा अवैध स्टैंडों का संचालन बंद हो.
चौराहों के जाम असर चौतरफा आधा किमी तक रामादेवी और टाटमिल चौराहे पर पीकऑवर्स में लगने वाले जाम का असर लगभग आधा किमी तक ही रहता है. रामादेवी चौराहे पर जाम लगने से हरजेंदरनगर, दूसरी ओर एचएएल कॉलोनी गेट, तीसरी ओर त्रिमूर्ति मंदिर तो मंगलाविहार तक वाहनों की कतार लग जाती है. टाटमिल चौराहे पर जाम से हैरिसगंज, नयापुल, झकरकटी और स्टेशन रोड के सामने तक वाहनों की लाइनें दिखती हैं.
अराजकता के पांच बिंदु
● सड़क पर अवैध मैजिक, वैन, टेंपो, बस स्टैंड
● केरी थाने के सामने जीटी रोड पर सीज वाहन खड़े होना
● ट्रैफिक सिग्नल लाइट और सड़क पर संकेतांक न बने होना
● जाम में बाधक चीजों की अनदेखी करना जैसे मंडी सड़क पर
कहां कितने ब्लैक स्पॉट
● रामादेवी चौराहे के चौतरफा मार्गों पर दो ब्लैक स्प़ॉट जाजमऊ पुरानी चुंगी, हाथीपुर गांव कट हैं.
● टाटमिल चौराहे के चार रास्तों में एक ब्लैक स्पॉट बाबूपुरवा थाने के सामने से ट्रांसपोर्टनगर के बीच.
वाहनों का लोड एक नजर में
● 24 घंटे में वाहनों का लोड 3.5 से 3.75 लाख
● भारी, कॉमर्शियल वाहन 60-70 हजार वाहन
● फोर्स रहती 02 टीआई, 02 टीएसआई दरोगा सहित 28 सिपाही, होमगार्ड
● वैध स्टैंड 04 ●अवैध स्टैंड 08
● अतिक्रमण सर्विस लेन पर सब्जी मंडी, फुटपाथ पर कब्जा
दो लाख का ईंधन फिजूल में खर्च
ट्रैफिक पुलिस के रिकॉर्ड के मुताबिक इन चौराहों पर 24 घंटे में पांच बार आधे से पौन घंटे का जाम लगता है. जाम में 30-35 हजार वाहन आठ से दस मिनट तक फंसते हैं. इसमें से 20-22 हजार दोपहिया, छह से सात हजार चौपहिया, दो-ढाई हजार भारी वाहन फंसते हैं. मोटे आकलन से इतनी अवधि में दोपहिया पर 5-6 रुपये ईंधन का अधिभार पड़ता है जो एक से सवा लाख रुपये बैठता है. तिपहिया-चौपहिया वाहनों के फंसने पर 10-11 रुपये का अधिभार यानी 70-72 हजार रुपये और भारी वाहनों पर 12 से 14 रुपये ईंधन का अधिभार जाम लगने से पड़ता है तो 28-30 हजार रुपये होता है. कुल मिलाकर लगभग दो लाख रुपये का फिजूल में ईंधन खर्च होता है.
आठ हजार ई-रिक्शा तो तीन हजार टेंपो-ऑटो का लोड
जीटी रोड स्थित रामादेवी और टाटमिल चौराहे पर निजी और कॉमर्शियल वाहनों का भरपूर लोड है. इनकी अराजकता जाम की एक बड़ी वजह है. दोनों जगह रोजाना छह हजार ई-रिक्शा, तीन हजार टेंपो-ऑटो के अलावा एक हजार अन्य कॉमर्शियल वाहनों का संचालन होता है.