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अयोध्या की इन संकरी गलियों में लगी आग तो फायरकर्मी छानते रहेंगे खाक
अयोध्या। लखनऊ के लेवाना होटल कांड के बाद होटलों और गेस्ट हाउस की चेकिंग में जुटे जिम्मेदार एक बड़े खतरे से अंजान हैं। यह खतरा है शहर में जगह-जगह सकरे इलाकों में बसे मार्केट। यदि इन मार्केट में आग लगने जैसी अप्रिय घटना होती है तो अग्निशमन कर्मियों को खाक छानने के सिवा कुछ हाथ नहीं लगेगा। वजह इन मार्केट में आने-जाने के रास्ते ऐसे है जहां संयंत्रों के साथ पहुंच पाना टेढ़ी खीर साबित होगा।
वैसे तो शहर में एक नहीं दर्जनों जगह सकरी जगहों पर मार्केट बसे हुए हैं। जहां आपदा की स्थितियों से निपटने के लिए कोई संसाधन नहीं मौजूद हैं। यहां तक कि इन स्थानों पर व्यवसाय करने वालों ने भी आपदा प्रबंधन के कोई इंतजाम अपने यहां नहीं रखे हैं। ऐसे में यदि इन क्षेत्रों में आग लगने या अन्य आपदा की परिस्थितियां आयेगी तो बड़ी घटना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
सबसे पहले शहर के ह्रदय स्थल कहे जाने वाले चौक में बसे रिफ्यूजी मार्केट को ही ले लिया जाए। बेहद घनी इस मार्केट में तीन तरफ से इतनी सकरी गलियां हैं कि दो से तीन लोगों का एक साथ गुजर पाना तक मुश्किल है। रिफ्यूजी मार्केट में विभिन्न सामानों की दुकानें है जिनमें प्लास्टिक से लेकर खाघ पदार्थों आदि की दुकानें शामिल हैं। वह भी इतनी छोटी – छोटी की दुकानदार बाहर खड़े होकर बिक्री करते हैं। यहां दुकान करने वाले अशोक मध्यान भी कहते हैं कि यदि आग लगती है तो बुझाने के लिए यहां अग्निशमन संयंत्रों का पहुंचना मुश्किल होगा।
सबसे बड़ा संकट यह है कि इस मार्केट के आसपास नलकूप तक नहीं है जिससे अग्निशमन के वाहन पानी भी भर सके। चौक में पानी की टंकी भी बेकार है वहां से पानी ले पाना अग्निशमन के लिए मुश्किल है। इसके अलावा बल्लाहाता की सकरी गली में बनी दवा मार्केट भी खतरे की जद में है। यहां एक ही पतली लेन में दवा की दो दर्जन से अधिक थोक दुकानें बनी हुई है।
जहां इसी पतले लेन में गत्ते आदि बिखरे रहते हैं। इस मार्केट में एक दो को छोड़कर किसी ने भी अपनी दुकान पर आग बुझाने का सिलेंडर तक नहीं रखा है। जबकि दो वर्ष पहले शार्ट सर्किट से एक दुकान में आग भी लग चुकी है। दुकानदार रमेश अग्रवाल कहते हैं कि खतरा तो है लेकिन रोजी-रोटी के लिए यहां दुकान लेनी पड़ी।
इसी तरह चौक में पानी की टंकी की ओर जाने वाले रास्ते पर दर्जनों दुकानें शामिल हैं। यह रास्ता भी बेहद सकरा है। सब्जी मंडी का भी वही हाल है। महिला अस्पताल रोड पर भी सकरी गलियों में ढेरों दुकानें बनी हुई है। राजकरण इंटर कालेज गली में तो एक बड़ा शापिंग काम्पलेक्स ही सकरे क्षेत्र में बना हुआ है। यहां कुछ दिनों पहले आग भी लग चुकी है। नगर क्षेत्र में यह स्थान तो कुछ बानगी भर हैं वर्ना हर इलाके में दो से तीन मार्केट ऐसी है जो गली कूचों में स्थापित हैं।
संसाधनों के संकट से भी जूझ रहा है अग्निशमन
जिले के मुख्यालय पर स्थित अग्निशमन के पास भी संसाधनों का अभाव है। यहां न मानक के अनुसार फायर मैन है न वाहन और न ही संयत्र। ऐसे में किसी बड़ी घटना से निपटने के लिए अग्निशमन को भी नाको चने चबाने पड़ेगें। अग्निशमन के पास कुल एक दर्जन बड़े अग्निशमन वाहन, छह छोटे अग्निशमन वाहन है।
जबकि वर्तमान परिस्थितियों में अग्निशमन को पांच बड़े और आठ छोटे वाहन और चाहिए। इसके लिए भेजा गया प्रस्ताव आज तक ठंडे बस्ते में पड़ा है। इसके अलावा पांच वाहन चालकों की भी कमी है। 140 फायर मैन होने चाहिए जबकि वर्तमान में मात्र 53 फायर मैन हैं। वहीं अभी भी कई पुराने वाहनों से ही अग्निशमन का कार्य किया जा रहा है। इसके चलते फायर कर्मियों को बड़ी समस्या होती है।
कोट – सकरे इलाकों में बने मार्केट निश्चित रूप से आपदा प्रबंधन की द्रष्टि से उचित नहीं हैं। यदि आग लगने जैसी घटना होती है तो दिक्कत आयेगी फिर भी अग्निशमन हर तरह से जिम्मेदारी का निर्वहन करेगा
न्यूज़क्रेडिट: amritvichar