उत्तर प्रदेश

बड़ी साजिश के तहत मुझे फंसाया गया, उन लोगों कों बड़ी फंडिंग हो रही हैः अंजू अग्रवाल

Shantanu Roy
14 Oct 2022 6:02 PM GMT
बड़ी साजिश के तहत मुझे फंसाया गया, उन लोगों कों बड़ी फंडिंग हो रही हैः अंजू अग्रवाल
x
बड़ी खबर
मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् की अध्यक्ष अंजू अग्रवाल ने शासन द्वारा वित्तीय अधिकारों के बाद उनकी प्रशासनिक शक्ति को भी सीज करते हुए पद से हटाये जाने के आदेश जारी करने के मामले में आज अपने आवास पर मीडियाकर्मियों से वार्ता करते हुए अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि अपने कार्यकाल में कोई भी गलत काम नहीं किया है, जनता के हितों को सर्वोपरि रखा और उसी के अनुसार काम किया है। उन्होंने कहा कि वॉल पेंटिंग के भ्रष्टाचार में मुझ पर 5 हजार रुपये का आरोप लगा है। इस पर उन्होंने कहा कि हमने 21 लाख रुपए राम मंदिर निर्माण में दिए और 31 लाख रुपए प्रधानमंत्री रिलीफ फंड में दिए और न जाने करोड़ों रुपए कोविड-19 के दौरान सैनिटाइजर और अन्य सुविधाओं के लिए खर्च कर दिए। पालिका अध्यक्ष ने कहा कि हमने आज तक अपनी गाड़ी का खर्च भी शासन से नहीं लिया है। उन्होंने बताया कि 4 बिन्दुओं पर गैर संवैधानिक ढंग से मेरे अध्यक्ष पद के वित्तीय अधिकार 19 जुलाई को कॉवड यात्रा के दौरान सीज कर दिये गये। इस पर मैंने उच्च न्यायालय इलाहाबाद में याचिका दायर की, जिस पर सुनवाई करते हुए 2 सितम्बर 2022 को शासन के आदेश को असंवैधानिक मानते हुए निरस्त किया गया तथा आदेश दिये गये कि यथाशीघ्र नियमानुसार सुनवाई करते हुए नए आदेश जारी करें लेकिन किसी भी दशा में 14 दिन से अधिक की अवधि न हो।
अंजू अग्रवाल ने कहा कि शासन ने एक बार फिर हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हुए मुझे वित्तीय अधिकार प्रदत्त नहीं किये गये, बल्कि 14 दिन के स्थान पर 39 दिन बाद उसी निरस्त आदेश के उन्हीं बिन्दुओं पर मेरे वित्तीय अधिकार के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकार भी समाप्त कर दिये गये। प्रकरण में 26 सितम्बर को मुझे सुनवाई के लिये शासन में बुलाया गया था। मैंने तमाम साक्ष्यों के साथ अपना पक्ष रखा परन्तु जारी किये गये आदेश में सुनवाई के किसी भी बिन्दु को सम्मिलित ही नहीं किया गया। इससे यह साफ तौर से स्पष्ट हैं कि सुनवाई महज एक औपचारिकता ही थी। केवल दबाव एवं प्रभाव में मेरे विरूद्ध निर्णय लिया जाना प्रायोजित था। जबकि कोई भी आरोप मेरे पर सिद्ध नहीं होता हैं। मुझे बिना प्रतिपरीक्षण रिपोर्ट उपलब्ध कराये ही सुनवाई में बुलाया जाना एक औपचारिकता भर ही था। लगाये गये चार बिन्दुओं के आरोप में टिपर आपूर्ति तथा उसका जीएसटी एव वॉल पेन्टिंग में कम जमानत धनराशि लगाये जाने एंव पोर्टेबल कॉम्पेक्टर आपूर्ति के बिन्दु सम्मिलित करते हुए अनियमितता वर्णित की गयी। निर्गत आदेश में यह लिखना कि 11 टिपर में 4 या 5 चलना वर्णित किया गया हैं, जबकि बीएस-4 के 11 टिपर निरन्तर कूड़ा उठाने का कार्य कर रहे हैं तथा जो बीएस-6 के 5 टिपर फॅर्म द्वारा पालिका को आपूर्ति कराये गये हैं, वह विभागीय अधिकारियों की घोर लापरवाही के कारण कम्पनी बाग में निष्प्रयोजित खड़े हुए हैं। साथ ही टिपर की जीएसटी जमा करने मामले में न्यायालय द्वारा आपूर्तिकर्ता फॅर्म की अपील स्वीकार करते हुए जीएसटी समायोजन पूर्व में ही किया जा चुका हैं, परन्तु इनका कोई भी उल्लेख आदेश में नहीं किया गया हैं। अंजू अग्रवाल ने कहा कि डा. संजीव बालियान, केन्द्रीय राज्यमन्त्री के शिकायती पत्र का हवाला दिया गया हैं। यह पूर्व से ही मण्डलायुक्त सहारनपुर द्वारा जैम-पोर्टल के माध्यम से हुई निविदा प्रकरण हाईलेविल कमेटी द्वारा जॉच करते हुए समाप्त किया जा चुका था, जबकि इन साक्ष्यों का कोई भी संज्ञान ना लेते हुए दोबारा वहीं प्रकरण उठाया गया हैं। वॉल पेन्टिंग में 5,500 रूपये की जमानत लगाये जाने का उल्लेख किया गया हैं। यह भी आरोपित किया गया कि बॉल पेन्टिंग में जेई की बिना पैमाइश किये ही भुगतान किया गया हैं।
Next Story