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काली कैसे होगी निर्मल, मवाना रोड पर कई फैक्ट्रियों के जहरीले पानी से हालात बदतर
मेरठ: काली नदी को क्या जहरीले पानी से मुक्ति मिल पाएगी या फिर इसी तरह से फैक्ट्रियों से निकलने वाले दूषित पानी के चलते काली का पानी जहरीला होता चला जाएगा। काली का पानी जांच के लिए गया तो रिपोर्ट चौंकाने वाली थी, जिसके बाद भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की नींद नहीं टूटी। तमाम फैक्ट्रियों का दूषित पानी काली नदी में डाला जा रहा है। इन फैक्ट्रियों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। हालात बेहद खराब होते जा रहे हैं, जिसके चलते कई आस-पास के गांव के लोग बीमार पड रहे हैं, लेकिन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी गहरी नींद में है।
नदियों के पानी पर व्यापक स्तर पर काम करने वाले एवं समाजसेवी रमन त्यागी ने काली नदी के पानी के नमूने जांच के लिए भिजवाए थे। भारत सरकार की अधिकृत लैब में काली के पानी की जांच हुई, जिसमें पानी में पारा और कांच के कन भी मिले थे, जो गलती से भी पशुओं ने भी ये पानी पी लिया तो उसके अंगों को प्रभावित करेंगे। हलचल पैदा कर देने वाली ये रिपोर्ट प्रदूषण विभाग को उपलब्ध कराई गई, लेकिन प्रदूषण विभाग के अधिकारियों की फिर भी नींद नहीं टूटी।
कमिश्नर से लेकर तमाम अधिकारियों को भी काली नदी के दूषित पानी की वास्तविकता को लेकर अवगत कराया गया था, लेकिन फिर भी पानी कितना खतरनाक है कि भूमिगत जल स्रोत भी खराब हो रहे हैं। आसपास के हैंडपंप या फिर समरसेबल में भी खराब पानी पहुंच रहा है, जिसके चलते लोगों को बड़ी बीमारी का भी सामना करना पड़ रहा है। इसको लेकर पूर्व छात्र संघ के अध्यक्ष समेत कई नेताओं ने प्रदूषण विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय पर प्रदर्शन भी किया था, लेकिन इसके बावजूद फैक्ट्रियों से निकलने वाला दूषित पानी की रोकथाम करने का कोई प्रबंध नहीं किया गया।