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हिंदू-मुस्लिम पक्ष ने रखी अपनी बात, 14 जुलाई को होगी अगली सुनवाई
वाराणसी : ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी प्रकरण में बुधवार को दिन में 2:00 बजे से जिला जज अजय कुमार विश्वेश की अदालत में सुनवाई हुई. यह सुनवाई लगभग 120 मिनट तक चली. कोर्ट की कार्यवाही लगभग 4:10 पर खत्म हुई. सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष की तरफ से 4 वादी महिलाओं की ओर से कोर्ट में हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, सुधीर त्रिपाठी और अन्य अधिवक्ताओं ने अपना पक्ष रखा.सुनवाई के दौरान कोर्ट में हिंदू पर्सनल लॉ को लेकर जमकर दलीलें पेश की गई हैं. स्वयंभू क्या होता है, शास्त्रों के मुताबिक किसी प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा किसे कहते हैं. मंत्रोच्चारण के साथ किसी प्रतिमा में प्रतिष्ठा के साथ प्राण कैसे डाले जाते हैं. इन सभी दलीलों पर आज वकीलों ने अपना पक्ष रखा. कोर्ट में अगले दिन 2:00 बजे से फिर सुनवाई होगी, इस दौरान हिंदू पक्ष अपनी बात रखेगा.
हिंदू पक्ष को कोर्ट में शास्त्र और धर्म की बातें इसलिए प्रस्तुत करनी पड़ी, क्योंकि मुस्लिम पक्ष के वकील लगातार यह सवाल उठा रहे थे कि हिंदू पक्ष की तरफ से बार-बार स्वयंभू, प्राण प्रतिष्ठा जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है. इनका मस्जिद में क्या तात्पर्य है. इन सभी सवालों का हरिशंकर जैन की तरफ से कमीशन की कार्यवाही का जिक्र करके वहां मिले हिंदू चिन्ह शंख, गदा, पुष्प और अष्ट चक्र के निशानों के बारे में खुलकर बताया गया. अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने बताया कि कमीशन की कार्यवाही के दौरान अंदर जो भी चीजें मिली हैं. वह मंदिर होने का प्रमाण हैं.किसी स्थान पर नमाज पढ़ने से उसे मस्जिद कह देना ही काफी नहीं होता है. वहां पर स्वयंभू रूप में शिव विराजमान हैं. विजिबल और इनविजिबल रूप में वहां पर हिंदू सनातन धर्म की प्रतिमाएं मौजूद हैं. यह प्रतिमाएं स्पष्ट करती हैं कि वहां पर मंदिर था. जिसे विध्वंस करके मस्जिद का निर्माण किया गया. आज हिंदू पक्ष की तरफ से बहस के दौरान वकील कमिश्नर रहे विशाल सिंह भी कोर्ट में मौजूद थे. वकील हरिशंकर जैन और विष्णु जैन ने कमीशन की कार्यवाही का जिक्र करते हुए अंदर मिले मंदिर के साक्ष्य के बारे में अपनी बात रखी थी.
वकील विष्णु जैन ने कहा कि कोर्ट में शास्त्र और हिंदू धर्म से जुड़े तमाम उन पहलुओं पर चर्चा आगे बढ़ाई गई है. जिसको लेकर लगातार मुस्लिम पक्ष विरोध कर रहा था. विष्णु जैन का कहना है कि हमने श्री काशी विश्वनाथ एक्ट के तहत जो मंदिर की परिधि दिखाई गई है. उसके लीगल साक्ष्य को कोर्ट के सामने रखा है. 1997 में सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट रामास्वामी की कॉपी भी कोर्ट में प्रस्तुत की गई है. जिसमें यह बात कही गई थी कि यहां पर 2 बार मंदिर तोड़ा गया है. इन सारे सबूतों को आज कोर्ट के सामने रखा गया है.कोर्ट में आज की सुनवाई शुरू होने से पहले मुस्लिम पक्ष की तरफ से हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन को इस मामले में जिरह न करने और मुकदमें से हटाने की मांग को लेकर जिला जज न्यायालय में याचिका डाली गई थी. इसी प्रकार की एक और याचिका मंगलवार को विश्व वैदिक सनातन संघ की तरफ से भी कोर्ट में दी गई थी. इन दोनों याचिकाओं पर कोर्ट ने विचार नहीं किया, बल्कि इस पर आपत्ति मांगी है.मुस्लिम पक्ष का यह आरोप था कि विष्णु शंकर जैन इस मामले में लोकल कोर्ट में वादी पक्ष के वकील है. जबकि सुप्रीम कोर्ट में सरकार की तरफ से यानी प्रतिवादी के वकील बनकर कार्रवाई को आगे बढ़ा रहे हैं. इसलिए लीगल तौर पर इनका इस मुकदमे में वकालतनामा नहीं होना चाहिए. हालांकि विष्णु जैन का कहना है कि उन्होंने इसके लिए बकायदा 15 जून को ही राज्य सरकार से एनओसी ले लिया था और कोर्ट में जमा करवा दिया था. एनओसी की कॉपी आज मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता अभय नाथ यादव को भी दिखा दी गई है. उनके संज्ञान में यह था ही नहीं की एनओसी सरकार की तरफ से दिया गया है.
बता दें कि 1991 के वरशिप एक्ट के तहत मुस्लिम पक्ष ने इस पूरे मुकदमे को पोषणीय ना मानते हुए न्यायालय में मुकदमा खारिज करने की मांग रखी है. जिसको लेकर 30 मई से लेकर 12 जुलाई तक कोर्ट में मुस्लिम पक्ष ने अपनी बातें हिंदू पक्ष की तरफ से दायर की गई कुल 51 बिंदुओं पर रखी थीं. 13 जुलाई को मुस्लिम पक्ष की बातें सुनने के बाद कोर्ट ने हिंदू पक्ष को बोलने का समय दिया था और आज हिंदू परिषद ने खुलकर धर्म शास्त्र और वेद पुराणों का जिक्र कर अपनी बातें कोर्ट के सामने रखी हैं. अब कल 2:00 बजे एक बार फिर से इसी मामले में हिंदू पक्ष अपनी बातें कोर्ट के सामने प्रस्तुत करेगा.