- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- हिंडनबर्ग रिपोर्ट: हम...
हिंडनबर्ग रिपोर्ट: हम खुद कमेटी के नाम का सुझाव देंगे ,सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कारोबारी गौतम अडानी पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट के मामले पर शेयर बाजार के कामकाज में बेहतरी के लिए कमेटी बनाने को लेकर फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुनवाई के दौरान सेबी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रस्तावित जांच समिति के दायरे और अधिकार क्षेत्र का मसौदा कोर्ट को सौंपा। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि मामले में सच सामने आए और समस्या को समग्रता और व्यपक रूप से देखा जा सके। मामले में जांच ऐसी हो जिससे यह ना लगे की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी मे कोई जांच हो रही है। जिससे मार्केट पर कोई असर न हो।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि हम खुद कमेटी के नाम का सुझाव देंगे। हम निवेशकों के हितों की रक्षा करने और उस प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बरतने के लिए सरकार द्वारा सुझाए गए किसी नाम को कमेटी में नहीं रखेंगे। तब मेहता ने कहा कि कोई पूर्व जज को समिति का प्रमुख बनाया जा सकता है। ताकि जांच शीघ्र पूरी हो। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि आप ने खुद ही कहा है कि बाजार पर कोई असर नहीं पड़ा है, क्योंकि नुकसान शून्य प्रतिशत है, लेकिन इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि निवेशकों के हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। कोर्ट ने कहा कि हम इसमें ज्यादा पारदर्शिता चाहते हैं। लिहाजा सील कवर लिफाफे में आपकी सलाह स्वीकार करना संभव नहीं है।
सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने कहा कि हमारी याचिका में मांग है कि गलत तरीके से शेयरों के दाम बढाने की जांच एसआईटी से कराई जाए और बैंक अधिकारियों की भूमिका की जांच हो। तब चीफ जस्टिस ने भूषण से कहा कि आपने पहले तो पहले से तय कर लिया कि वो अपराधी हैं। तब प्रशांत भूषण ने कहा कि कमेटी में रिटायर जज नियुक्त होने चाहिए, जिनकी विश्वसनीयता संदेह से परे हो। तब चीफ जस्टिस ने टोकते हुए कहा आप नाम देने की कोशिश ना करें। इस पर प्रशांत भूषण ने कहा कि ये जांच होनी चाहिए कि कैसे इतने समय मे शेयर की कीमतें 40-50 प्रतिशत बढ़ गईं।
सुनवाई के दौरान कांग्रेस नेता जया ठाकुर के वकील ने कहा कि अडाणी और उनके भाई के खिलाफ जांच की मांग करते हुए कहा कि मामले कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच होनी चाहिए और वो भी वर्तमान जज की निगरानी में हो। तब मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता मीडिया के इंट्रेस्ट की बात यहां कर रहे हैं। हम कह रहे है कि सेबी सभी मामलों की जांच इन्वेस्टर्स के इंट्रेस्ट में करने मे सक्षम है और उसने तुरंत फैसले भी लिए हैं। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि वो निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए जांच कमेटी खुद बनाएंगे। सरकार या किसी भी पक्ष के सुझाव की जरूरत नहीं।
इस मामले में तीन याचिकाएं दायर की गई हैं। एक याचिका वकील विशाल तिवारी ने दायर की है, जिसमें कहा गया है कि भारत की संप्रभुता के लिए इस मामले की जांच आवश्यक है। याचिका में बड़े कारपोरेट घरानों को दिए जाने वाले लोन को स्वीकृति देने के लिए बनाई गई नीति की देखरेख के लिए एक विशेष कमेटी गठित किए जाने की मांग की गई है।
दूसरी याचिका वकील मनोहर लाल शर्मा ने दायर की है। इस याचिका में हिंडनबर्ग रिसर्च के संस्थापक नाथन एंडरसन और भारत में उनके सहयोगियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच की मांग की गई है। मनोहर लाल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर निर्दोष निवेशकों का शोषण और उनके साथ धोखाधड़ी करने के लिए शार्ट सेलर के खिलाफ की जांच किए जाने की मांग की है। शर्मा की याचिका में शार्ट सेलर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग करते हुए निवेशकों को मुआवजा दिए जाने की मांग की गई है। शर्मा ने याचिका में हिंडेनबर्ग के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 और 120बी और सेबी के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है।
तीसरी याचिका कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने दायर की है। इसमें हिंडनबर्ग रिपोर्ट के मद्देनजर अडानी समूह की जांच की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि अडानी समूह में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई)और एलआईसी के निवेश के फैसले की भी जांच होनी चाहिए। याचिका में कहा गया है कि एसबीआई और एलआईसी ने अडानी के एफपीओ में 3200 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से निवेश किया जबकि सेकंडरी मार्केट में उसके शेयरों की कीमत 1800 रुपये प्रति शेयर थी। एसबीआई और एलआईसी की ओर से निवेश की गई रकम सार्वजनिक संपत्ति का हिस्सा थी।