उत्तर प्रदेश

हिमाचल प्रदेश: खीमी राम को साथ लेकर कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के मर्म पर की चोट

Kajal Dubey
13 July 2022 1:09 PM GMT
हिमाचल प्रदेश: खीमी राम को साथ लेकर कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के मर्म पर की चोट
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भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष खीमी राम को अपने साथ मिलाकर हिमाचल कांग्रेस ने भाजपा के मर्म पर चोट कर इसका मनोबल तोड़ने की चाल चली है। भाजपा लंबे वक्त से नाराज चल रहे अपने नेता को संभाल नहीं पाई है और उनके बागी होते तेवरों को हल्के में लेती रही। कांग्रेस को तो मौका चाहिए था। विधानसभा चुनाव के ठीक ढाई-तीन महीने पहले ही खीमी को अपना बना लिया। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह संसदीय क्षेत्र मंडी में उपचुनाव में प्रचार के लिए भी खीमी राम की खूब मान-मनौव्वल चली, लेकिन वह प्रचार में नहीं उतारे जा सके। खीमी राम जैसे कई नेताओं की बगावत को हल्के में लेना भी कहीं न कहीं उपचुनाव में भाजपा के भले में नहीं रहा। भाजपा ने मंडी लोकसभा सीट गंवाकर दिल्ली तक सही संदेश नहीं दिया था।
खीमी राम वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में टिकट कटने के बाद से ही वह आहत चल रहे थे। वर्ष 2017 में युवा भाजपा नेता सुरेंद्र शौरी को टिकट दिया गया था। इससे पहले वर्ष 2012 के चुनाव में खीमी राम को पूर्व मंत्री कर्ण सिंह ने हराया था। उसके बाद से ही वह भाजपा में बैकफुट पर जाते रहे। भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष, पूर्व मंत्री और पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष रह चुके खीमी राम का कांग्रेस में शामिल होना भाजपा के लिए अप्रत्याशित घटना रही है। खीमी राम ने भी कुछ समय पहले विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान करके भाजपा को यह तो कड़ा संदेश दे ही दिया था कि अगर उन्हें तरजीह नहीं मिली तो वह भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ बगावत करने का मन बना चुके हैं।
सूत्रों के अनुसार भाजपा के रणनीतिकार उनकी इस चेतावनी को भाजपा से टिकट लेने के लिए दबाव की सियासत की तरह देखने लगे। किसी ने यह सोचा नहीं था कि वह अपनी उस पार्टी को ही छोड़ देंगे, जिसकी बुनियाद पर वह पार्टी प्रदेशाध्यक्ष जैसे राज्य के सर्वोच्च पद तक पहुंचे। खीमी राम का भाजपा को छोड़कर कांग्रेस में जाना मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के गृह संसदीय क्षेत्र में भी भाजपा के लिए सही संदेश नहीं है। भाजपा के दिग्गज अब इसके डैमेज कंट्रोल की अगली रणनीति पर माथापच्ची कर रहे हैं।
भाजपा ने खीमी राम को क्या-क्या नहीं दिया। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्री और एमएलए सब बनाया। जो भी भाजपा को ऐसे छोड़कर गया, उसका कभी भला नहीं हुआ। जो इस तरह से दूसरी पार्टी में जाता है, वह कभी नेता नहीं बनता। देश में ऐसे बहुत से उदाहरण है। जिसने इस तरह से पार्टी छोड़ी हो, वह कभी भी नेता नहीं बना।
खीमी राम के कांग्रेस में जाने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। कर्ण सिंह से वह वर्ष 2012 में विधानसभा चुनाव करीब 10 हजार वोटों से बड़ी बुरी तरह से हारे थे। उनका घर कुल्लू के भुंतर में है और राजनीति बंजार में करते हैं। उनकी यहां कोई स्वीकार्यता नहीं है। हमेशा से टिकट मांगते रहे हैं।
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