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हाईकोर्ट ने तरीखों के ऐलान पर लगाई रोक, टल सकते हैं निकाय चुनाव
मेरठ न्यूज़: यूपी में निकाय चुनाव टल सकते हैं। फिलहाल हाईकोर्ट में मंगलवार को निकाय चुनाव की जनहित याचिका पर सुनवाई होगी, इसके बाद आगे का निर्णय होगा। हालांकि प्रशासनिक स्तर पर चुनाव की पूरी तैयारी कर ली गई है। तमाम राजनीति दलों ने भी निकाय चुनाव की तैयारी कर ली हैं। अब टिकट को लेकर पार्टियों में चयन की प्रक्रिया चल रही हैं। ऐसे में संभावित प्रत्याशियों ने अपने-अपने क्षेत्रों में प्रचार भी तेजी से कर रहे हैं। लोगों के घरों पर दस्तक दे रहे हैं। संभावित प्रत्याशी के घर पर चाय पार्टी भी चल रही हैं। यूपी में निकाय चुनाव की तारीखों के ऐलान पर रोक लग सकती हैं। हाईकोर्ट ने तारीखों के ऐलान पर एक तरह से फिलहाल रोक लगा दी हैं। मंगलवार को जनहित याचिका पर फिर होगी सुनवाई। सुनवाई के बाद तारीखों के ऐलान पर होगा फैसला। तारीखों का ऐलान तभी होगा, जब आपत्तियों पर सुनवाई पूरी हो जाएगी।
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद कि तारीखों पर फिलहाल रोक लगा दी गई, ऐसे में संभावित प्रत्याशियों की सांसे अटक गई। लोगों का कहना है कि चुनाव के लिए संभावित प्रत्याशी चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं। ऐसे में चुनाव टलते है तो संभावित प्रत्याशियों के लिए मुश्किल पैदा हो जाएगी। आरक्षण भी करीब-करीब फाइनल हो चुका हैं।उस पर आई आपत्तियों की सुनवाई हो रही हैं। इसके बाद ही इसकी रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजी जाएगी। इसके बाद फाइनल आरक्षण घोषित कर दिया जाएगा। आरक्षण को लेकर बड़ी आपत्ति दर्ज की जा रही हैं।
नगर पंचायत के आरक्षण को हाईकोर्ट में चुनौती: नगर पंचायत की चेयरपर्सन रीमा तोमर के पति नवीन शर्मा ने सोमवार को हाईकोर्ट में अपील दायर की है। उन्होंने चक्रानुसार घोषित की गई सीट पर सवाल उठाते हुए इस बार सीट सामान्य वर्ग में घोषित किए जाने की मांग की। नवीन शर्मा ने बताया कि इस बार सीट ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित की गई है। बताया कि सन 1994 में यह सीट नगर पंचायत के वजूद में आई थी। 2017 से लगातार यह सीट एससी सीट के लिए आरक्षित की गई थी। 2017 में हुए चुनाव में यह सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित हुई। जबकि, क्रम अनुसार इस बार यह सीट सामान्य में होनी चाहिए थी, लेकिन इस सीट को ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया गया। उन्होंने बताया कि दौराला नगर पंचायत में 19776 मतदाता है। जिसमें अनुसूचित जाति के 3858 व ओबीसी वर्ग के 10031 मतदाता है।
आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक का नहीं दिया जा सकता। भारतीय संविधान में दिए गए अधिकारों से वंचित कर इस सीट को ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है। उन्होंने इस सीट को सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित करने की मांग करते हुए नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव को ज्ञापन दिया। साथ ही हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर अपील दायर की।