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श्रीविंध्य पंडा समाज का चुनाव न कराने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
मीरजापुर। विंध्यवासिनी मंदिर व्यवस्था और दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए श्रीविंध्य पंडा समाज कार्यरत हैं. समयावधि बीत जाने के बाद भी नियमानुसार श्रीविंध्य पंडा समाज का चुनाव न कराने का मामला हाईकोर्ट जा पहुंचा है. चुनाव न कराने को लेकर हाईकोर्ट ने जवाब मांगा है. सुनवाई की अगली तारीख एक मार्च निर्धारित है. ऐसे में एक मार्च या उससे पहले जिलाधिकारी का लिखित निर्देश दाखिल करना होगा. यह याचिका श्रीविंध्य पंडा समाज के पूर्व अध्यक्ष भगवानदत्त उर्फ राजन पाठक ने दायर किया है.
याचिकाकर्ता राजन पाठक के अधिवक्ता संजय द्विवेदी व अंकुर जायसवाल ने हाईकोर्ट में वाद दाखिल किया है. जज प्रकाश पड़िया ने अभिलेख का अवलोकन किया और कहा है कि श्रीविंध्य पंडा समाज सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत पंजीकृत एक सोसायटी है. विंध्य विकास परिषद के उपनियमों के अनुसार कार्यकारी परिषद सोसायटी में 19 सदस्य हैं. इनमें से 10 सदस्य विंध्य पंडा समाज की कार्यकारी समिति के निर्वाचित सदस्य हैं.
सोसायटी के उपनियमों के अनुसार कार्यकारी समिति के चुनाव हर दो साल के बाद आयोजित किए जाएंगे. पिछला चुनाव वर्ष 2018 में हुआ था. ऐसे में सोसायटी का कार्यकाल काफी पहले समाप्त हो चुका है यानी चार साल बाद भी श्रीविंध्य पंडा समाज का चुनाव नहीं कराया जा सका.
इस संबंध में याचिकाकर्ता और सोसायटी के अन्य सदस्यों ने प्रतिनिधित्व किया है. चुनाव की तिथि घोषित करने के बाद उसे निरस्त कर दिया गया. नगर दंडाधिकारी ने 31 अगस्त 2022 व 10 अक्टूबर 2022 को आदेश पारित कर अगले आदेश तक चुनाव पर रोक लगा दी है.
बिना किसी ठोस कारण के नहीं कराया जा रहा चुनाव
याचिकाकर्ता का कहना है कि रजिस्ट्रार फर्म्स सोसाइटीज एंड चिट्स चुनाव कराने के लिए सक्षम प्राधिकारी हैं, लेकिन बिना किसी ठोस कारण के चुनाव नहीं कराया जा रहा है. ऐसे में कोर्ट ने मामले के तथ्य और परिस्थितियों के दृष्टिगत स्थायी वकील को निर्देश दिया है कि वह इस मामले में जिलाधिकारी से लिखित रूप में निर्देश प्राप्त करें और शीर्ष 10 मामलों में निर्धारित तारीख या उससे पहले न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करें.