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उत्तर प्रदेश
आज भी होगी ज्ञानवापी-शृंगार गौरी केस की सुनवाई, हिंदू पक्ष ने कहा- स्वयंभू शिवलिंग को भगवान शंकर ने किया स्थापित
Renuka Sahu
14 July 2022 3:43 AM GMT
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फाइलफोटो
ज्ञानवापी स्थित शृंगार गौरी के नियमित दर्शन को लेकर दायर याचिका में बुधवार को हिंदू पक्ष की ओर से दलील दी गई कि ज्ञानवापी में स्थापित शिवलिंग स्वयंभू हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ज्ञानवापी स्थित शृंगार गौरी के नियमित दर्शन को लेकर दायर याचिका में बुधवार को हिंदू पक्ष की ओर से दलील दी गई कि ज्ञानवापी में स्थापित शिवलिंग स्वयंभू हैं। स्वयंभू की प्राण प्रतिष्ठा नहीं होती, क्योंकि इसे भगवान शंकर ने स्वयं स्थापित किया है। उन्होंने वर्ष 1997 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले की नजीर प्रस्तुत करते हुए पक्ष रखा कि काशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट 1993 में यूपी विधानमंडल ने उस आराजी पर हिंदुओं का अधिकार स्वीकार किया है। इस मंदिर को आम जनता की प्रॉपर्टी माना है और यह स्थिति पूरे परिसर पर लागू होती है। वहां जनता को पूजा का अधिकार संवैधानिक है। इसके बाद जिला जज ने सुनवाई के लिए अगली तारीख 14 जुलाई तय की है।
जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में जारी बहस के दौरान बुधवार को हिंदू पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन व विष्णु जैन ने पक्ष रखा। उन्होंने डीके मुखर्जी की हिंदू लॉ पुस्तक और श्री राम जानकी मंदिर 1999 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की नजीर रखी और कहा कि इसमें साफ किया गया है कि स्वयंभू देवता कौन होते हैं। कितने प्रकार के हैं और उनकी पूजा कैसे की जाती है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि धार्मिक अधिकार मौलिक अधिकार से परे है।
सुप्रीम कोर्ट के एक वाद उपेंद्र सिंह के मामले का जिक्र करते हुए कहा कि यह धार्मिक अधिकार सिविल वाद के दायरे में आता है और यह मामला बिल्कुल सुनवाई के योग्य है। करीब दो घंटे चली बहस में अधिवक्ताओं ने संविधान की आर्टिकल-25 को लेकर उठाये गए मुद्दे, मूर्ति की इमेज, स्वयं भू जैसे मुद्दों पर हिंदू ला और सुप्रीम कोर्ट के दिए गए फैसलों, काशी के इतिहास, मंदिर को दो बार तोड़े जाने का जिक्र, शास्त्रों, वेदों, पुराणों और हिंदू कानूनों का हवाला देते हुए दलील दी।
हमें न कब्जा चाहिए, न किसी को निकालना है
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता हरीशंकर जैन ने कहा कि हमारा वाद दर्शन पूजन को लेकर है। इसमें न तो कब्जे की बात है और न तो किसी के निकालने की बात है। ज्ञानवापी परिसर में 1993 तक जैसे दर्शन-पूजन होता था, वैसे ही व्यवस्था फिर से किये जाने की मांग की गई है। वाद की आराजी 9130 है, जिस पर मस्जिद बताई गई है। उस आराजी पर पहले से पूजा होती चली आ रही है।
प्रतिवादी का वकील होते हुए रख रहे वादी का पक्ष
ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी के दर्शन मामले में मुस्लिम पक्ष की ओर से भी वादी के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन को लेकर जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र देकर आपत्ति जताई गई। इसमें कहा गया कि अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष रख रहे हैं, जबकि इस मामले में सरकार के प्रतिवादी है। ऐसे में वह प्रतिवादी के वकील होते हुए वादी का पक्ष रख रहे हैं, जो आपत्तिजनक है। कोर्ट से अनुरोध किया गया कि इन परिस्थितियों में श्रृंगार गौरी मामले में विष्णु शंकर जैन को वकालत की अनुमति न दी जाए।
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