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उत्तर प्रदेश
यूपी निकाय चुनाव मामले में सुनवाई हुई पूरी, 27 दिसंबर को आएगा फैसला
Shantanu Roy
25 Dec 2022 9:50 AM GMT
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बड़ी खबर
लखनऊ। यूपी निकाय चुनाव को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में शनिवार को भी सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। निर्णय 27 दिसंबर को सुनाया जाएगा। निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण लागू किए जाने के मामले में इस दौरान याची पक्ष व सरकारी पक्ष के वकील ने दलीलें दी। निकाय चुनाव में रिजर्वेशन को लेकर शुरू हुई सुनवाई में सबसे पहले याचिकाकर्ता की वकील एलपी मिश्रा ने अपना पक्ष रखा। वकील ने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण जो किया गया है वह राजनीतिक रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया गया है। एक डेडीकेशन कमीशन बनाया जाए जो आरक्षण को लेकर फैसला करे। मौजूदा आरक्षण प्रणाली से पिछड़ा वर्ग के साथ न्याय नहीं हो रहा है। याचिकाकर्ता की वकील ने सुरेश महाजन बनाम मध्य प्रदेश सरकार-2021 केस में सुप्रीम कोर्ट का आदेश विस्तार से पढ़कर जज के सामने सुनाया। जज ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पढ़ने के बाद आगे की सुनवाई शुरू की। सरकारी वकील ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उनका रैपिड सर्वे डेडीकेटेड आयोग द्वारा किए गए ट्रिपल टेस्ट जैसा ही है।
याचिकाकर्ता के पक्ष पर सरकारी वकील ने कहा कि महिला आरक्षण को होरिजेंटल आरक्षण बताया गया। शुक्रवार को समय की कमी के कारण सुनवाई पूरी नहीं हो सकी थी। न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ में बीते बुधवार को सुनवाई के दौरान याचियों की ओर से दलील दी गई थी कि निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण एक प्रकार का राजनीतिक आरक्षण है। ओबीसी आरक्षण तय किए जाने से पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था के तहत डेडिकेटेड कमेटी द्वारा ट्रिपल टेस्ट कराना अनिवार्य है। वहीं, राज्य सरकार ने हलफनामे में कहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव मामले में 2017 में हुए ओबीसी के सर्वे को आरक्षण का आधार माना जाए। अदालत ने सरकारी वकील से पूछा कि जब ओबीसी आरक्षण की गिनती ही नहीं हुई तो आरक्षण किस आधार पर किया गया । अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि आयोग का गठन होने के बाद ही आरक्षण पर निर्णय हो सकता है । फ़िलहाल अदालत 27 को फ़ैसला सुनाएगी पर ऐसे आसार बन रहे कि चुनाव कई महीने टल गए है।
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