उत्तर प्रदेश

स्वास्थ्य विभाग आरोग्य मेले को भी गंभीरता से नहीं ले रहा

Admindelhi1
20 Feb 2024 7:35 AM GMT
स्वास्थ्य विभाग आरोग्य मेले को भी गंभीरता से नहीं ले रहा
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डॉक्टर नहीं पहुंचे

प्रतापगढ़: मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के नाम पर चलाए जा रहे आरोग्य मेले को भी स्वास्थ्य विभाग गंभीरता से नहीं ले रहा है. कहीं डॉक्टर नहीं आ रहे तो कहीं डॉक्टर मौजूद हैं किन्तु आरोग्य मेला नहीं लगाया जा रहा है. इससे शासन की मंशा धरातल पर लागू नहीं हो पा रही है. कुछ अस्पतालों में इलाज ही नहीं हुआ बल्कि आयुष्मान कार्ड भी बनाए गए वहीं कई अस्पतालों में डॉक्टर और मरीज कोई नहीं नजर आया. हालांकि स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में जिले की 56 पीएचसी पर लगे आरोग्य मेले में 24 मरीजों का इलाज हुआ.

अधीक्षक को पता नहीं प्रधानमंत्री जन आरोग्य मेला : कोहंडौर सीएचसी में दोपहर अधीक्षक डॉ. देवेन्द्र पटेल इमरजेंसी ड्यूटी कर रहे थे. लेकिन न तो मरीज दिख रहे थे और न जन आरोग्य मेला लगा था. अधीक्षक ने बताया कि मुख्यमंत्री आरोग्य मेला सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर नहीं बल्कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर लगता है. जबकि अक्तूबर से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर प्रधानमंत्री जन आरोग्य मेला लगाकर जांच व इलाज किया जा रहा है.

165 मरीजों का इलाज 243 आयुष्मान कार्ड बने

कुंडा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर प्रधानमंत्री जन आरोग्य मेले का आयोजन हुआ. जिसमें अधीक्षक डॉ.राजीव त्रिपाठी ने बताया कि मेले में 165 मरीजों की जांच व इलाज हुआ. इस दौरान 243 आयुष्मान कार्ड भी बनाए गए. जन आरोग्य मेले में डॉ. शिवेश, डॉ. अनिल गुप्ता, डॉ. रोहित सिंह, बीपीसीएम आशीष दुबे, बीपीएम रमेश यादव सहित अन्य स्टाफ मौजूद रहे.

जागरूकता के अभाव में नहीं आए मरीज

प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र दुर्गागंज में आरोग्य मेला लगा. डॉ. उमाशंकर बिंद व डॉ. रविशंकर पांडेय उपस्थित रहे, लेकिन बजे तक एक भी मरीज नहीं आया. आसपास के लोगों का कहना था कि स्वास्थ्य विभाग आरोग्य मेले के बारे में लोगों को जागरूक नहीं कर रहा है. जानकारी के अभाव में लोग इसका फायदा नहीं उठा पा रहे हैं.

आरोग्य मेले में नहीं हुई जांच

सांगीपुर के भैंसना प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर आरोग्य मेले का आयोजन हुआ. एक डॉक्टर, एक फार्मासिस्ट व दो सफाईकर्मी उपस्थित रहे. कुल 65 मरीज मेले में स्वास्थ्य परीक्षण कराने आए. जिसमें सांस, सर्दी व बुखार के मरीज अधिक थे. अधिकांश मरीजों को खून की जांच कराने की जरूरत थी लेकिन पीएचसी पर खून के जांच की सुविधा ही नहीं है. दो आयुष्मान कार्ड भी बनाए गए.

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