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स्वास्थ्य विभाग बीमारी रोकने में नाकाम रहा, दूषित पानी ने ली एक और जिंदगी
सरधना न्यूज़: मंडी चमारान मोहल्ले में दूषित पानी लोगों की जान लेकर रहा है। मगर स्वास्थ्य विभाग बीमारी पर काबू पाने में नाकाम साबित हो रहा है। यहां तक की प्रशासन भी मामले में बेबस नजर आ रहा है। रविवार को बीमारी से जूझ रहे एक और व्यक्ति की उपचार के दौरान मौत हो गई। जिससे उसके परिजनों में कोहराम मच गया। बस्ती में बीमारी के चलते अब तक यह चौथी। सूचना मिलने पर अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और घटना पर दुख जताया। बस्ती में फैल रही बीमारी और बढ़ती मौत की संख्या से लोगों में दहशत का माहौल है। साथ ही लोगों में लगातार आक्रोश बढ़ रहा है। मंडी चमारान मोहल्ले में करीब एक सप्ताह से दूषित पानी के चलते लोगों की जान पर बनी हुई है। अब तक सैंकड़ों लोग बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। लोगों को उल्टी, दस्त व पेट दर्द की समस्या हो रही है। अब यह बीमारी लोगों की जान लेने लगी है। दो दिन पूर्व एक नवजात शिशु की गर्भ में ही मौत हो गई थी। अगले दिन यानी शनिवार को एक महिला व एक नौजवान ने दम तोड़ दिया।
इसी क्रम में रविवार को चौथी मौत बस्ती में हुई। अनीस पुत्र हनीफ चार दिन से बीमारी से जूझ रहा था। पहले उसे सीएचसी लगाया गया। हालत खराब देखते हुए अनीस को मेरठ रेफर कर दिया गया था। परिजन निजी अस्पताल में उसका इलाज करा रहे थे। रविवार को उपचार के दौरान अनीस की मौत हो गई। उसकी मौत से परिजनों में कोहराम मच गया। शाम को गमगीन माहौल में शव को सुपुर्दे खाक कर दिया गया। वहीं बस्ती में बढ़ती बीमारी व मौत के आंकड़े से लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है। बीमारी नियंत्रण में स्वास्थ्य विभाग भी नाकाम साबित हो रहा है। प्रशासन भी इस ओर कोई ठोस कार्रवाई करता नजर नहीं आ रहा है। सूचना पर एसडीएम सत्यप्रकाश मौके पर पहुंचे और मामले की जानकारी ली। साथ ही परिवार की हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया।
स्वास्थ्य विभाग नाकाम साबित: पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग नाकाम साबित हो रहा है। पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिलने के कारण गरीबों पर निजी अस्पताल के मोटे बिलों का बोझ बढ़ रहा है। सीएचसी से महज प्राथमिक इलाज हो रहा है। थोड़ी सी तबीयत बिगड़ते ही मरीज को मेरठ रेफर किया जा रहा है। वहां जाने के बाद भी मरीज धक्के खा रहे हैं। मजबूरी में गरीब निजी अस्पतालों में जाकर अपनी जेब कटवा रहे हैं।
प्रशासन की कार्रवाई भी दिख रही सुस्त: शासन की कार्रवाई भी सुस्त नजर आ रही है। पहले तो दूषित पानी से बीमारी फैलने को लेकर अधिकारी असमंजस में रहे। रिपोर्ट आने के बाद नई टंकी की पाइप लाइन बिछाने की बात कही गई। गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पाइप लाइन बिछाने के नाम पर चंद मीटर सड़क खोदी गई है। यहीं हाल रहा तो महीनों तक पाइप लाइन नहीं बिछ पाएगी और लोग अपनी जान गवाते रहेंगे।
नगर पालिका की सुविधा भी बेकार: पालिका प्रशासन की ओर से भी बस्ती में कोई खास व्यवस्था नहीं की जा रही है। लोगों को पेयजल मुहैया कराने के लिए कहने को आठ टैंकर लगा रखे हैं। मगर यह किसी काम के नहीं हैं। क्योंकि एक भी टैंकर आबादी के अंदर नहीं खड़ा है। सभी आबादी से बाहर लगाए गए हैं। पहले तो पानी लाने में लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। उसमें भी यह पानी पर्याप्त नहीं है। क्योंकि पानी केवल पीने के लिए ही नहीं अन्य जरूरत में भी काम आता है। जैसे खाना बनाना, कपड़े धोना, पशुओं के लिए पानी, नहाना, साफ-सफाई आदि तो लोग भूले पड़े हैं। सब अपनी जिम्मेदारी कागजों में पूरी करने में लगे हुए हैं।