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आगरा न्यूज़: प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ केंद्रों पर सभी रोगों का इलाज, छोटी-मोटी सर्जरी, प्रसव और जाचों की व्यवस्था का दावा किया जाता है. मगर हकीकत यह है कि सीएचसी केवल डिलीवरी प्वाइंट बनकर रह गए हैं. प्रसव के अलावा यहां कुछ नहीं होता. इसमें भी कोई गंभीर केस आ जाए तो डाक्टर हाथ खड़े कर देते हैं.
शहर की सीमा में 30 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं. यहां सिर्फ बुखार, खांसी, जुकाम की दवाएं मिलती हैं. इससे ज्यादा कुछ नहीं. जबकि ग्रामीण अंचल के 15 ब्लाकों में 18 सीएचसी हैं. यहां भी सिर्फ प्रसव ही कराए जाते हैं. जननी सुरक्षा योजना के तहत प्रसूताओं को मजबूरी में भर्ती करना पड़ता है. लेकिन सभी को भर्ती कर लेते हैं, ऐसा भी नहीं है. दूसरी बीमारियों के मरीज, हादसों में घायल लोगों को आगरा रेफर कर देते हैं. यही कारण है कि एसएन मेडिकल कालेज और जिला अस्पताल जैसे बड़े सरकारी अस्पतालों में मामूली बीमारियों के मरीज, हल्की-फुल्की चोट वाले मरीजों की भीड़ है. जबकि मेडिकल कालेज और जिला अस्पताल रेफरल सेंटर हैं. छोटे अस्पतालों में जिनका इलाज नहीं है, वही रैफर किए जा सकते हैं. कई मामलों में निजी अस्पतालों में भी कुछ बीमारियों का इलाज नहीं है. ऐसे में मेडिकल कालेज को रैफर किया जाना चाहिए. जिले के सीएचसी किस हाल में हैं, इस रिपोर्ट से समझ सकते हैं....
पिनाहट आगरा रेफर कर देते हैं घायल मरीज
30 बेड के अस्पताल में हादसों में मामूली घायलों को भी भर्ती नहीं किया जाता. इन्हें सीधे आगरा रैफर कर दिया जाता है. पिनाहट सीएचसी में भर्ती मरीजों के खानपान का कोई बंदोबस्त नहीं है. जांच तक का प्रबंध नहीं है. इसीलिए यहां निजी लैब के एजेंट हर समय मिल जाएंगे. इस केंद्र पर मरीज 20 किलोमीटर तक दूर से आते हैं. राजस्थान और मध्य प्रदेश के सीमावर्ती गावों के लिए एकमात्र अस्पताल है. रक्त जांच और एक्सरे तक की सुविधा नहीं है.