उत्तर प्रदेश

कानपुर के हनुमान मंदिर और मस्जिद का एक ही है प्रवेश द्वार, दोनों समुदायों के सहयोग से एक साथ होती है आरती और अजान

Renuka Sahu
3 May 2022 1:52 AM GMT
Hanuman temple and mosque of Kanpur have only one entrance, with the cooperation of both the communities, aarti and azaan are held together
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फाइल फोटो 

देशभर में आज ईद-उल-फितर का त्यौहार धूम धाम से मनाया जा रहा है. पि

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देशभर में आज ईद-उल-फितर (Eid Ul Fitr 2022) का त्यौहार धूम धाम से मनाया जा रहा है. पिछले कुछ समय से देश के भीतर पैदा धार्मिक कट्टरता जरूर पैदा हुई है. मगर इससे सबके बावजूद हिंदू मुस्लिम (Hindu-Muslims) दोनों समुदायों के बीच आपसी भाई चारे और गंगा जुमुनी तहजीब कायम है. मंदिर मस्जिद के फर्क से ऊपर इसी की एक बेहतरीन मिशाल यूपी के कानुपर में देखने को मिलती है. यहां हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के सहयोग से अजान और आरती होती है. मंदिर और मस्जिद का एक ही प्रवेश द्वार है. मंदिर को पार कर लोग मस्जिद में प्रवेश करते हैं.

दोनों समुदायों के सहयोग से एक साथ होती है आरती और अजान
उत्तर प्रदेश के कानपुर के टाटमिल चौक में एक हनुमान मंदिर और एक मस्जिद है जिनका प्रवेश द्वार एक है. मंदिर के पुजारी ने बताया, "दोनों समुदायों के सहयोग से आरती और अजान होती है. हम समग्रता में विश्वास करते हैं और हम सभी यहां शांति से रहते हैं, कभी किसी तरह की कोई घटना नहीं हुई."
मंदिर को पार कर मस्जिद में करते हैं प्रवेश
मस्जिद में नमाज अदा करने आने वाले ओवैस ने बताया, "मंदिर और मस्जिद दोनों में एक आम प्रवेश द्वार है, हमें मंदिर को पार करना है और फिर मस्जिद में प्रवेश करना है. हम यहां 3-4 साल से आ रहे हैं. दोनों समुदायों के लोगों में यहां भाईचारे की भावना है."
प्रधानमंत्री ने देशवासियों को ईद-उल-फितर की बधाई दी
उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को देशवासियों को ईद-उल-फितर की बधाई दी और सभी के उत्तम स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना की. उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ईद-उल-फितर की ढेर सारी शुभकामनाएं. यह शुभ अवसर हमारे समाज में एकजुटता और भाईचारे की भावना को बढ़ाए. सभी के उत्तम स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करता हूं.
दिल्ली समेत देश के किसी भी हिस्से में रविवार को ईद का चांद नजर नहीं आया, इसलिए ईद-उल-फितर का त्योहार मंगलवार को मनाया जाएगा तथा सोमवार को 30वां और आखिरी रोज़ा रहा.
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