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पश्चिम बंगाल में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भारी हिंसा हो रही है। मतदानकर्मी और पुलिसकर्मी मूकदर्शक बनकर मतदान केंद्रों पर हो रही लूट को देख रहे हैं, मतदान केंद्रों पर बैलेट की जगह बुलेट चल रहे हैं। पूरा देश बंगाल चुनाव में हो रही चुनावी हिंसा का गवाह बन रहा है।
वहीं, सबसे अधिक आबादी वाले राज्य यूपी में लोकसभा चुनाव 2019 से लेकर हाल ही में हुए निकाय चुनाव बिना किसी हिंसा के शांतिपूर्ण संपन्न होना पश्चिम बंगाल के लिए नजीर है। लोकसभा की 80 सीटों, 2021 में कोरोना संकट के बीच हुए पंचायतीराज चुनाव, 2022 में विधानसभा चुनाव और 2023 में निकाय चुनाव शांतिपूर्ण संपन्न होना कानून के राज का प्रतीक है।
वह भी तब है जब यूपी में पंचायत चुनाव से लेकर निकाय चुनाव तक कानून व्यवस्था पूरी तरह यूपी पुलिस के हाथ थी, जबकि पश्चिम बंगाल में सुरक्षा के लिए केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती की गई।
2019 के बाद किसी चुनाव में हिंसा नहीं
पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव में हुई हिंसा में एक दिन में करीब 20 से अधिक लोगों की जान चली गई। चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद से लगभग 40 लोगों को जान गंवानी पड़ी है। एक तरफ पश्चिम बंगाल में चुनाव के दौरान अराजकता फैल रही है।
वहीं यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 2019 लोकसभा चुनाव के बाद से अब तक हुए सभी चुनाव बिना किसी बूथ कैपचरिंग, बिना किसी हिंसा और गोलीबारी के संपन्न होना नजीर बन गया है।
यूपी के मुकाबले आधा चुनाव, फिर भी बेकाबू
राज्य निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2021 में हुए पंचायत चुनाव में 75 जिलों में 2.02 लाख से अधिक मतदान केंद्रों पर मतदान हुआ था। यूपी में 12.43 करोड़ से अधिक मतदाता थे।
वहीं पश्चिम बंगाल में 61, 636 मतदान केंद्रों पर जिला परिषद की 928, पंचायत समिति की 9730 और ग्राम पंचायत की 63,229 सीटों के लिए चुनाव हुए हैं।
यूपी में हाल ही में हुए निकाय चुनाव में एक भी सीट पर हिंसा की मामूली घटना नहीं हुई। इतना ही नहीं यूपी में कुंभ, राम मंदिर निर्माण के फैसले, अनेक पर्व-त्योहार पर कहीं भी हिंसा, तनाव या दंगा नहीं हुआ।