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सरधना: थाने में लगी आग से जो तबाही मची है, वह कम नहीं है। लेकिर समय रहते कार्रवाई नहीं की जाती तो हालात और भयावह हो सकते थे। रसोई में लगा गैस सिलेंडर भी खाली थी। वरना जिस तरह से लगभग खाली सिलेंडर फटा था, पूरी बिल्डिंग उड़ जाती।
आग की तबाही का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिल्डिंग की दीवारों और लिंटर में दरार पड़ गई हैं। दीवार से प्लास्टर छूट गया है और खिड़की-दरवाजे कोयला हो गए। यहां तक की छत में लटके पंखे आग में पिघल गए। हादसे के बाद बिल्डिंग कमजोर हो गई है।
थाने में हुए अग्निकांड की पूरी घटना पर नजर डालने के बाद मामले खुलकर सामने आ रहे हैं। जिस केबिन के विद्युत बोर्ड में शार्ट सर्किट हुआ। उसी के बराबर में रसोई के बाहर महिला फालोवर खाना बना रही थी। गैस सिलेंडर लगभग खाली हो चुका था। इसलिए सिलेंडर लेटाकर इस्तेमाल किया जा रहा था, मतलब नाम मात्र ही सिलेंडर में गैस था। भीषण आग लगने के बाद सिलेंडर भी चपेट में आ गया।
सिलेंडर तेज धमाके के साथ महज एक इंच फट गया। उसमें भी इतनी तेज आवाज थी कि आसपास के लोग दहल गए। यदि सिलेंडर भरा हुआ होता तो पूरी बिल्डिंग उड़ जाती। इसके अलावा मालखाने में भी गैस कटर में उपयोग किया जाने वाला आॅक्सीजन सिलेंडर रखा हुआ था। वह भी सुरक्षित निकाल लिया गया। इतना सब के बाद भी आग ने जमकर तबाही मचाई।
तबाही का आलम यह है कि बिल्डिंग की दीवार व लिंटर में दरार पड़ गई। दीवार से प्लास्टर उतर गया और खिड़की दरवाजे कोयले में तब्दील हो गए। छत में लगे पंखे आग से पिघल गए। अन्य उपकरण तो बचने का कोई मतलब ही नहीं बनता है। हादसे के बाद बिल्डिंग कमजोर हो गई है। बिल्डिंग क हालत आग के तांडव को बयां कर रही है।
कुछ मिनट पहले ही गई थी रसोइयां
खाना बनाने के बाद हादसे से कुछ मिनट पहले ही रसोइया मंदिर की ओर चली गई थी। तभी विद्युत बोर्ड में शार्ट सर्किट हुआ और सिलेंडर के साथ रसोई का सामान आग की चपेट में आ गया। कुछ देर तक पुलिसकर्मियों के हाथ-पैर इसी बात को लेकर फूले रहे कि खाना बनाने वाली महिला आग की चपेट में आ गई है। उसे सुरक्षित देखने के बाद पुलिस ने राहत की सांस ली।
रसोई बंद, खाने की बढ़ी परेशानी
कोतवाली में आग लगने के कारण रसोईघर भी पूरी तरह तबाह हो गया है। इस कारण मेस बंद हो गया है। मतलब पुलिसकर्मियों के लिए खाना बनाने व खाने की कोई व्यवस्था नहीं बनी। रात तो पुलिस ने हादसे को नियंत्रण करने में भूखे पेट की गुजार दी। रविवार की सुबह भी पुलिसकर्मी भूखे ही भागदौड़ में लगे रहे। दोपहर को भी कुछ पुलिसकर्मियों को खाना नसीब हो सका, जबकि कुछ जैसे-तैसे काम चलाने को मजबूर रहे। फिलहाल थाने में पुलिसकर्मियों के खाने की कोई व्यवस्था नहीं है।
रसोई से बाहर बन रहा था खाना
गर्मी की वजह से महिला फालोवर रसोईघर से बाहर यानी केबिन के ठीक बराबर में बाहर खाना बना रही थी। यानी केबिन और रसोई के बीच में एक प्लाई बोर्ड का फासला था। विद्युत बोर्ड में ब्लास्ट हुआ तो पास रखे सिलेंडर की लाइन ने आग पकड़ ली। इसके बाद तो तबाही बचना तय था।
मुल्हैड़ा चौकी प्रभारी को नहीं आई शर्म
हादसे की सूचना जिसको भी मिली, वह मदद के लिए थाने की ओर दौड़ पड़ा। पूरे कस्बे से सैकड़ों लोकर थाने में मदद के लिए पहुंच चुके थे। यहां तक की आसपास थानों व चौकी की फोर्स भी कोतवाली आ गई थी। मगर मुल्हैड़ा पुलिस चौकी पर तैनात प्रभारी दारोगा दीपक कुमार को शर्म नहीं आई।
दारोगा ने कोतवाली आकर यह जानना भी जरूरी नहीं समझा कि हादसा कैसे हुआ और झुलसे साथियों की हालत कैसी है। रविवार दोपहर तक भी दारोगा को होश नहीं आया। जिस पर इंस्पेक्टर रमाकांत पचौरी ने स्वयं दरोगा को फोन किया और कहा कि थोड़ी इंसानियत बचाकर रखो। थाने नहीं आने के सवाल का दरोगा के पास कोई जवाब नहीं था।
केबिन के प्लाई बोर्ड से भड़की आग
साइबर सेल के बाहर पुलिस ने एक केबिन बना रखा था। दलान में दोनों ओर प्लाई बोड लगाकर यह केबिन तैयार किया गया था। सबसे पहले इन्हीं प्लाई बोर्ड में आग भड़की। दोनों ओर प्लाई बोर्ड धधक-धधक कर जले। जिससे आग फैलती चली गई।