उत्तर प्रदेश

बुंदेलखंड में बढ़ रहा मूंगफली का उत्पादन

Admin Delhi 1
28 Jun 2023 6:07 AM GMT
बुंदेलखंड में बढ़ रहा मूंगफली का उत्पादन
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झाँसी न्यूज़: बुन्देलखंड में मूंगफली का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है. किसान बु के लिए मूंगफली के उन्नत किस्म के बीजों का इस्तेमाल करें. यह बात केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने जारी एडवायजारी में कही. उन्होंने कहा कि दीमक के रोग से बचने अंतिम जुताई में नीम की खली का प्रयोग करें.

रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि बुन्देलखण्ड में मूंगफली की खेती तेजी से बढ़ रही. इसकी उत्पादकता बढ़ाकर अधिक लाभ लिया जा सकता.

मूंगफली की खेती के लिए कम जल भराव वाली, भुरभुरी दोमट एवं बलुई दोमट अथवा लाल मिट्टी (राकड़) सबसे उपयुक्त होती है. भूमि की तैयारी हेतु सर्वप्रथम मिट्टी पलटने वाले हल या हेरो कल्टीवेटर से जुताई करने के बाद में सामान्य कल्टीवेटर से दो जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा होने के बाद पाटा लगाकर समतल किया जाना चाहिए.

इस क्षेत्र में मूंगफली की उन्नत किस्मों में टी जी 37 ए, दिव्या, मल्लिका, एच एन जी 123, नित्या हरिता एवं फुले भारती प्रमुख हैं. इसकी बुवाई के लिए उचित समय जुलाई का प्रथम पखवाड़ा होता. मूंगफली की गुच्छेदार किस्मों के लिए बीज की मात्रा 75-80 कि.ग्रा. प्रति हे. एवं फैलने वाली किस्मों के लिये 60-70 कि.ग्रा. प्रति हे. उपयोग में लेना उचित रहता.

नीम की खली को अंतिम जुताई से पूर्व 400 कि.ग्रा. प्रति हे. की दर से प्रयोग से अधिक उत्पादन, दीमक का नियंत्रण एवं नत्रजन तत्वों की भी पूर्ति की जा सकती हैं. कार्यशाला में तमाम लोग मौजूद रहेेे. मौजूद वैज्ञानिकों ने कृषि टिप्स दिए.

खाद का प्रयोग उचित मात्रा में करें

उर्वरकों का प्रयोग भूमि परीक्षण की संस्तुति के आधार पर करें. अगर भूमि परीक्षण नहीं किया गया हो तो 2030 कि.ग्रा. नत्रजन, 4050 कि.ग्रा. फास्फोरस, 4050 कि.ग्रा. पोटाश, 250 कि.ग्रा. जिप्सम व 45 कि.ग्रा. बोरेक्स (बोरोन) प्रति हे. की दर से उपयोग करें. नत्रजन व जिप्सम की आधी मात्रा अन्य उर्वरको की पूरी मात्रा बुवाई के समय बेसल डोज के रूप में उपयोग करना चाहिए. शेष बची नत्रजन, जिप्सम एवं बोरेक्स की पूरी मात्रा को फसल के तीन सप्ताह बाद टॉपड्रेसिंग के रूप में छिड़कने के बाद गुड़ाई कर भूमि में मिला देना चाहिए.

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