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मोरना। चौ. चरण सिंह गंगनहर मुख्य कांवड़ मार्ग की बांयी पटरी पर गांव बेलडा से भोपा की ओर आसपास हरे भरे बांस के वृक्षों को अवैध तरीके से लकड़ी माफिया द्वारा काटा जा रहा है, जिसके चलते सरकार की पर्यावरण संरक्षण व वृक्षारोपण नीति को भी पर्यावरण के दुश्मन बने लकड़ी माफिया पलीता लगा रहे हैं। कहने को तो वन विभाग के अधिकारियों द्वारा दिन व रात में वनकर्मियों की गंगनहर पर गश्त ड्यूटी लगाई गई है, लेकिन हरे भरे बांस के वृक्षों का अंधाधुंध कटान वन विभाग की सच्चाई को उजागर कर रहा, अगर इसी तरह बांस आदि वृक्षों का कटाई जारी रहा, तो गंगनहर पटरी से बांस के वृक्ष ही समाप्त हो जाएंगे।
भोपा से बेलडा गांव की ओर गुजरते चौ. चरण सिंह गंग नहर मुख्य कांवड़ मार्ग पर गांव बेलडा के निकट पटरी मार्ग पर काफी संख्या में बांस के हरे भरे वृक्ष खड़े हुए हैं। विगत वर्षों में बारिश अपेक्षाकृत अच्छी होने से वृक्षों की हरियाली देखते ही बनती है। दूरदराज क्षेत्रों से हरिद्वार में चौ. चरण सिंह गंगनहर मुख्य कांवड़ मार्ग से सैकड़ों की संख्या में तीर्थयात्री व आमजन गुजरते हैं। रास्ते में गंगनहर पटरी पर घने बांस के वृक्षों को देखकर मन अनायास ही प्रफुल्लित हो उठता है, जो भी यह नजारा अपनी आंखों से देखता है, वही इस प्राकृतिक मनोरम छटा को एक टक निहारता ही रहता है। शायद ही दूसरे अन्य स्थानों पर इतने हरे-भरे बांस के वृक्षों के घने समूह हो, जिनका प्राकृतिक नजारा इतना मनमोहक व सुन्दर हो आकाश की ओर सीधे खड़े बांस के वृक्ष मार्ग से गुजरते लोगों को अचंभित व आनंदित कर देते हैं। वन विभाग द्वारा काफी समय पहले इन बांस वृक्षों को रोपित करके गंगनहर पटरी को हरे भरे वृक्षों से आच्छादित किया गया था, लेकिन वर्तमान में वन विभाग पूरी तरह से इनके प्रति लापरवाह बना हुआ है।
वैसे तो कहने को दिन व रात के समय वन कर्मियों की गश्त ड्यूटी लगी है, लेकिन इसके बावजूद भी बांस के वृक्षों का कटान लगातार जारी है। काफी बडे भू-भाग से वृक्षों को काट दिया गया है, लेकिन वन विभाग के अधिकारियों द्वारा मामले में किसी तरह की कोई कार्रवाई न किए जाने से लकड़ी माफिया के हौसले बढ़ रहें हैं। बांस आदि के वृक्षों का कटान लगातार जारी होने से बांस के वृक्षों का खतरा हो सकता है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ऐसा नहीं है कि वन विभाग के आला अधिकारियों के संज्ञान में मामला न हो, लेकिन मामले में लापरवाही भरा रवैया अपनाएं जाने से वन विभाग की ओर भी अंगुलियां उठना लाजिमी है। ग्रामीणों का कहना है कि कहीं न कहीं इन सब के लिए वन विभाग की संलिप्तता के कारण ही सैकड़ों बांस के वृक्षों को काट दिया गया। आसपास के गांवों के लोगों को इतनी भी जानकारी नहीं है कि बांस वृक्षों को वन विभाग काट रहा है या किसी को इनका ठेका दिया है। लगातार होते कटान से गंगनहर पटरी का काफी बड़ा भू-भाग बांस के वृक्षों से विहीन हो गया। गंगनहर पटरी पर वृक्षों की सुरक्षा का जिम्मा उठाने में फिलहाल वन विभाग पंगु बना है। वन विभाग की विफलता के लिए सीधे-सीधे इसके अधिकारी ही जिम्मेदार है।
सूत्रों ने बताया कि दो दिन पहले पीपल के काफी पुराने पेड़ को लकड़ी माफिया के द्वारा काटा गया था, जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, लेकिन वन विभाग के अधिकारियों ने उन लोगों पर कोई कानून सम्मत कार्रवाई करने के बजाय कुछ रूपए की रसीद काटकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। बताया जाता है कि रात के अंधेरे में लकड़ी माफियाओं द्वारा गंगनहर पर बांस सहित दूसरे वृक्षों को काटकर पर्यावरण के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। वृक्षारोपण व वृक्ष कटान अनुपात में अंतर इतना बढ़ता दिखाई दे रहा है कि वृक्षारोपण से अधिक वृक्षों का कटान तेजी से हो रहा है। पूर्व में गंगनहर की दोनों पटरियों के आसपास काफी पुराने ऊंचे-ऊंचे पेड़ खड़े थे। आखिर वन विभाग के अधिकारियों के लापरवाही भरें रवैये के चलते गंगनहर से लगातार वृक्षों का कटान जारी है। उधर वन रेंजर शुक्रताल सिंहराज सिंह पुण्डीर से फोन पर वार्ता का प्रयास किया गया, लेकिन लगातार घंटी जाने के बाद भी फोन रिसीव नहीं हो सका।

Admin4
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