उत्तर प्रदेश

साहित्य में संवेदना का बड़ा महत्व

Admin Delhi 1
16 Aug 2023 7:08 AM GMT
साहित्य में संवेदना का बड़ा महत्व
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इलाहाबाद: साहित्य में संवेदना का बड़ा महत्व है. रामस्वरूप चतुर्वेदी को समझना है तो संवेदना की खिड़कियां खोल देनी चाहिए. समय के साथ-साथ संवेदना में जो परिवर्तन हुआ, वह रेखांकित करना चाहिए. आचार्य शुक्ल ने भी कविता को समझाने के पूर्व भाव और मनोविकारों पर बात की थी. विवेक और संवेदना के योग का नाम आलोचना है. यह बातें हिंदुस्तानी एकेडेमी में आयोजित रामस्वरूप चतुर्वेदी स्मृति व्याख्यानमाला की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ आलोचक प्रो. राजेंद्र कुमार ने कहीं.

मुख्य वक्ता प्रो. हरीश त्रिवेदी ने साहित्यिक संवेदना के नए प्रतिमान विषय पर कहा कि हिन्दी साहित्य एवं संवेदना का विकास रामस्वरूप चतुर्वेदी की श्रेष्ठ कृति है. कहा कि संवेदना उनकी आलोचना का बीज शब्द है. संयोजक और युवा आलोचक डॉ. महेंद्र प्रसाद कुशवाहा ने अब तक संपन्न हुए व्याख्यानों का परिचय दिया. राम स्वरूप चतुर्वेदी के पुत्र डॉ. विनय स्वरूप ने पिता की स्मृति पक्ष के साथ मौजूदा हालात और मुद्रा स्फीति पर अपनी बात रखी. आलोचक प्रो. प्रणय कृष्ण ने रामस्वरूप की मशहूर पंक्ति दो संस्कृतियों की रचनात्मक टकराहट का उल्लेख किया. विशिष्ट वक्ता और उपन्यासकार प्रो. हेरम्ब चतुर्वेदी ने रामस्वरूप की आलोचना प्रक्रिया को इतिहास के हवाले से रेखांकित किया. धन्यवाद डॉ. रचना आनंद गौड़ ने ज्ञापित किया. कार्यक्रम में हरिश्चंद्र पांडेय, डॉ. सूर्य नारायण, रमेश ग्रोवर, हितेश कुमार सिंह, प्रो. राम किशोर शर्मा, डॉ. बसंत त्रिपाठी, डॉ.अनिल यादव, डॉ. हरिश्चंद यादव, डॉ.धारवेंद्र त्रिपाठी, अरविंद बिंदु, डॉ. दीनानाथ मौर्य आदि मौजूद रहे.

‘शोध लेखन में सही संदर्भ आवश्यक’

भारत में पुस्तकालय विज्ञान के जनक पद्मश्री डॉ. एसआर रंगनाथन की 131वीं जयंती पर सीएमपी महाविद्यालय के पुस्तकालय विभाग एवं प्रोजेक्ट एवं रिसर्च सेल की ओर से संदर्भ प्रबंधन उपकरण मेंडली डेस्कटॉप विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई. प्रोजेक्ट एवं रिसर्च सेल की संयोजक डॉ. सुनंदा दास ने कहा कि शोध लेखन में संदर्भ का सही ढंग से लिखा जाना अतिआवश्यक है. पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. पुनीत कुमार सिंह ने बताया कि डॉ. रंगनाथन ने पुस्तकालयों के उत्थान के लिए अथक प्रयास किए.

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