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अपराधियों के हिस्ट्रीशीट पुनर्मूल्यांकन की प्रक्रिया बताये सरकार: इलाहाबाद हाईकोर्ट
कोर्ट रूम न्यूज़: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपराधियों के हिस्ट्रीशीट के पुनर्मूल्यांकन की प्रक्रिया के बारे में सरकार से जानकारी मांगी है। कोर्ट ने पूछा है कि अपराधियों के हिस्ट्रीशीट के पुनर्मूल्यांकन की क्या प्रक्रिया है। यह जानकारी कमिश्नरेट गौतमबुद्धनगर के बल्लू उर्फ बलबिंदर की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सुनीत कुमार और न्यायमूर्ति सैय्यद वायज मियां की खंडपीठ ने मांगी है। याची ने अपने खिलाफ हिस्ट्रीशीट खोले जाने का विरोध करते हुए उसे रद्द करने की मांग की है। उसका कहना है कि चार वर्षों में उसने कोई अपराध नहीं किया है। फिर भी पुलिस ने पुलिस रेगुलेशन में वर्णित अपराधों से इतर अपराधों के आधार पर उसकी हिस्ट्रीशीट खोली है। याची के तर्कों को देखते हुए कोर्ट ने यूपी सरकार से इस बारे में जानकारी देने को कहा है। कोर्ट ने अपर शासकीय अधिवक्ता मंजू ठाकुर को निर्देशित किया है कि यूपी में पुलिस हिस्ट्रीशीट के पुनर्मूल्यांकन की क्या प्रक्रिया अपनाती है।
इसके बारे में विस्तृत जानकारी पेश करें। सरकारी अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याची की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट की ओर से 22 सितंबर 2022 को पारित आदेश केतहत पुलिस विभाग की ओर से हिस्ट्रीशीट खोले जाने केबारे में छह बिंदुओं पर एक व्यापक गाइडलाइन जारी की गई है। इसके मुताबिक पुलिस अपराधियों की हिस्ट्रीशीट पर हर दो साल में पुनर्मूल्यांकन करेगी और उसके हिसाब से हिस्ट्रीशीट खोलेगी या बंद करेगी। इसके अलावा 18 साल तक के लोगों की हिस्ट्रीशीट नहीं खोली जाएगी। 19 से 21 साल तक के लोगों की हिस्ट्रीशीट खोलने से पूर्व वरिष्ठ अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक की ओर से पुलिस महानिरीक्षक, सीबीसीआईडी को इस आशय से प्रेषित की जाएगी कि उन्हें कोई आपत्ति हो तो पत्र प्राप्ति के 15 दिनों के अंदर वह अपनी टिप्पणी सहित संबंधित मुख्यालयों को भेजेंगे।